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Court News: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण ईमानदारी होनी चाहिए।
आवेदन करने वालों की संख्या उपलब्ध नौकरियों से कहीं अधिक
पीठ ने कहा, भारत में सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने वालों की संख्या उपलब्ध नौकरियों से कहीं अधिक है। प्रत्येक नौकरी निर्धारित परीक्षा च साक्षात्कार प्रक्रिया के साथ भरा जाना चाहिए। ईमानदार भर्ती प्रक्रिया होने से लोगों को संदेश जाएगा कि पदों के वास्तविक हकदार को ही पदों पर नियुक्ति की जा रही है।
भर्ती परीक्षा की पवित्रता से समझौता
सर्वोच्च न्यायालय ने सार्वजनिक भर्ती परीक्षा की पवित्रता से समझौता करने के आरोपी दो व्यक्तियों को जमानत देने के आदेश को रद्द कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि इन आरोपियों की वजह से कई लोग प्रभावित हुए, जिन्होंने नौकरी पाने की उम्मीद में ईमानदारी से प्रयास किया। इस तरह के कृत्य लोगों के लोक प्रशासन और कार्यपालिका में विश्वास को कम करने का संकेत देते हैं।
एडमिड कार्ड के साथ छेड़छाड़ की गई थी
आरोपियों ने सहायक अभियंता सिविल (स्वायत्त शासन विभाग) प्रतियोगी परीक्षा-2022 में गड़बड़ी की थी। उनमें से एक के स्थान पर एक अन्य व्यक्ति कथित तौर पर डमी उम्मीदवार के रूप में उपस्थित हुआ था। आरोप लगाया गया कि एडमिड कार्ड के साथ छेड़छाड़ की गई थी और मूल प्रवेश पत्र पर किसी अन्य व्यक्ति की तस्वीर चिपका दी गई थी। पीठ ने कहा कि हजारों उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी, लेकिन आरोपियों ने अपने फायदे के लिए परीक्षा की पवित्रता से समझौता किया। इससे उन उम्मीदवारों पर असर पड़ा, जिन्होंने पूरी ईमानदारी से परीक्षा की तैयारी की थी।
आरोपियों ने पहले ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था
शीर्ष अदालत ने कहा कि दोनों आरोपियों ने पहले ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसने उनकी संबंधित जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसने कहा कि आपराधिक पृष्ठभूमि की कमी और हिरासत की अवधि के हाई कोर्ट द्वारा विचार जमानत देने के लिए वैध मानदंड थे। लेकिन अदालत, उन्हें उचित श्रेय देते हुए, प्राथमिक अपराध और समाज पर इसके प्रभाव को नजरअंदाज नहीं कर सकती है, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा।
हजारों लोग परीक्षा में शामिल हुए होंगे
पीठ ने कहा, निश्चित रूप से हजारों लोग परीक्षा में शामिल हुए होंगे और प्रतिवादी-आरोपी व्यक्तियों ने अपने फायदे के लिए परीक्षा की पवित्रता से समझौता करने की कोशिश की। इससे संभवतः उन लोगों पर भी असर पड़ा होगा, जिन्होंने नौकरी पाने की उम्मीद में परीक्षा में शामिल होने के लिए ईमानदारी से प्रयास किया होगा। ट्रायल कोर्ट के इस दृष्टिकोण से सहमत हैं कि वे जमानत के लाभ के हकदार नहीं हैं।
हर व्यक्ति के पास निर्दोष होने का अनुमान
शीर्ष अदालत ने कहा कि हर व्यक्ति के पास निर्दोष होने का अनुमान तब तक उनके पक्ष में काम करता है जब तक उसपर लगाया गया अपराध उचित संदेह से परे साबित न हो जाए। पीठ ने आरोपियों को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया और उन्हें दो सप्ताह के भीतर संबंधित अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि चूंकि मामले में सुनवाई चल रही है, इसलिए आरोपी के लिए संबंधित अदालत के समक्ष जमानत के लिए नए सिरे से आवेदन करना खुला होगा।