
Supreme Court in view
Waqf Board’s plea: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका पर कहा कि वहां लंबे समय से एक गुरुद्वारा चल रहा है, इसलिए अब इस पर दावा छोड़ देना चाहिए।
वक्फ बोर्ड ने याचिका के माध्यम से किया था दावा
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने वक्फ बोर्ड के वकील से कहा, “वहां एक गुरुद्वारा है, उसे रहने दीजिए। अगर कोई दावा है भी, तो उसे छोड़ दीजिए, क्योंकि वहां पहले से गुरुद्वारा है। इस तरह याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें शाहदरा इलाके की एक जमीन को वक्फ संपत्ति बताया गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट के 2010 के फैसले को दी थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर याचिका के रूप में आया था। हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने जमीन पर कब्जे की मांग की थी। वक्फ बोर्ड का दावा था कि यह जमीन वक्फ संपत्ति है और लंबे समय से वक्फ के रूप में इस्तेमाल हो रही है।
गवाह ने माना- 1947 से गुरुद्वारा चल रहा है
सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड के वकील ने ट्रायल कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि वहां पहले एक मस्जिद थी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रतिवादी पक्ष के एक गवाह ने माना था कि वहां एक मस्जिद थी और बाद में “कुछ तरह का गुरुद्वारा” बना, लेकिन वह रजिस्टर्ड नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, “यह कोई ‘कुछ तरह का गुरुद्वारा’ नहीं है, बल्कि पूरी तरह से चालू गुरुद्वारा है।” कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस ऑब्जर्वेशन का भी जिक्र किया, जिसमें एक गवाह ने माना था कि 1947 से वहां गुरुद्वारा चल रहा है। इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी।