
A male farmer planting vegetables into a soil
UP news: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि उपजिलाधिकारी (SDM) को किसी व्यक्ति को जमीन का मालिक यानी भूमिधर घोषित करने का अधिकार नहीं है।
जयराज सिंह की याचिका पर सुनवाई की
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने जयराज सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की थी कि उसे लंबे समय से जमीन पर कब्जे के आधार पर भूमिधर घोषित किया जाए और उसे ट्रांसफरेबल राइट्स दिए जाएं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह अधिकार सिर्फ उपजिला अधिकारी (SDO) को है और वह भी तभी जब संबंधित व्यक्ति इसके लिए उचित मुकदमा दायर करे। इस प्रक्रिया में राज्य सरकार और ग्राम पंचायत दोनों पक्ष होंगे।
याचिकाकर्ता के वकील का दावा
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि पहले की कुछ लीज संबंधी कार्यवाहियों और समय के साथ याचिकाकर्ता को भूमिधर का दर्जा मिल गया है। लेकिन कोर्ट ने उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम और यूपी राजस्व संहिता की धाराओं का अध्ययन करने के बाद कहा कि किसी भी अधिकारी को प्रशासनिक स्तर पर ऐसा अधिकार नहीं है कि वह किसी व्यक्ति को भूमिधर घोषित कर दे।
SDO के समक्ष धारा 144 के तहत मुकदमा दायर करना जरूरी
कोर्ट ने कहा कि कोड 2006 की योजना के अनुसार, भले ही याचिकाकर्ता को ट्रांसफरेबल राइट्स के साथ भूमिधर का दर्जा मिल गया हो, लेकिन इसे मान्यता देने के लिए SDO के समक्ष धारा 144 के तहत मुकदमा दायर करना जरूरी है। इस प्रक्रिया में राज्य और ग्राम पंचायत दोनों पक्ष होंगे और अपनी बात रख सकेंगे। केवल एक आवेदन के आधार पर प्रशासनिक स्तर पर ऐसा फैसला नहीं लिया जा सकता।