
close up photo of a wooden gavel
UP news: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पुरुषों के सार्वजनिक शौचालयों की सफाई का जिम्मा महिला समूह को सौंपे जाने पर चिंता जताई है।
ग्राम प्रधान को अगली सुनवाई में पेश होने के दिए निर्देश
कोर्ट ने रायबरेली जिले के जेयोना गांव में हुई व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए ग्राम प्रधान को 22 मई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। कोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस ए.आर. मसूदी और जस्टिस ए.के. श्रीवास्तव शामिल हैं, ने इस मामले में विस्तृत जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही ग्राम प्रधान को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने को कहा है।
कोर्ट ने व्यवस्था पर असहमति जताई
जब कोर्ट ने पुरुषों के शौचालयों की सफाई के लिए ग्राम पंचायत की योजना के बारे में पूछा, तो ग्राम प्रधान ने बताया कि वही महिला समूह पिछले एक साल से सभी शौचालयों की सफाई कर रहा है। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि पुरुषों द्वारा उपयोग किए जाने वाले शौचालयों की सफाई के लिए केवल महिला समूह की तैनाती ग्राम पंचायत की किसी भी स्वीकृत योजना के अनुरूप नहीं लगती। कोर्ट ने इस व्यवस्था पर असहमति जताते हुए मामले की अगली सुनवाई 22 मई को तय की है।
रायबरेली के महाराजगंज ब्लॉक के जेयोना गांव का मामला
यह मामला रायबरेली के महाराजगंज ब्लॉक के जेयोना गांव में पुरुष और महिला शौचालयों के निर्माण और रखरखाव से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। यह याचिका गांव के निवासी जमुना प्रसाद ने दायर की थी। ग्राम प्रधान ने कोर्ट को बताया कि गांव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत पुरुषों और महिलाओं के लिए तीन-तीन अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं। इन शौचालयों की सफाई और देखरेख के लिए ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित 12 महिलाओं के एक स्वयं सहायता समूह को जिम्मेदारी दी गई है।