
Godhra Train burning incident...File photo
Godhra train: सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 के गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में दोषियों की उस आपत्ति को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि दो जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती क्योंकि इसमें कुछ आरोपियों को फांसी की सजा दी गई थी।
गुजरात हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इस केस में गुजरात हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था, इसलिए दो जजों की बेंच इस पर सुनवाई कर सकती है। सुनवाई के दौरान दो दोषियों की ओर से वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि रेड फोर्ट आतंकी हमले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फांसी की सजा से जुड़े मामलों की सुनवाई तीन जजों की बेंच ही करेगी। अगर दो जजों की बेंच किसी को फांसी देती है, तो फिर उस पर तीन जजों की बेंच में दोबारा बहस करनी होगी।
फांसी की सजा मिली हो या बरकरार रखा हो, तीन जज की बेंच सुनेंगी
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के नियम और पुराने फैसले साफ करते हैं कि तीन जजों की बेंच सिर्फ उन्हीं मामलों में जरूरी है, जहां हाईकोर्ट ने फांसी की सजा दी हो या उसे बरकरार रखा हो। इस केस में ट्रायल कोर्ट ने 11 दोषियों को फांसी दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उसे उम्रकैद में बदल दिया। इसलिए दो जजों की बेंच इस पर सुनवाई कर सकती है।
बेंच ने कहा- आपत्ति खारिज की जाती है
कोर्ट ने कहा कि इस आपत्ति का कोई आधार नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले की अंतिम सुनवाई शुरू कर दी। इससे पहले 24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह 6 और 7 मई को इस मामले में गुजरात सरकार और अन्य दोषियों की अपीलों पर अंतिम सुनवाई करेगा।
यह है मामला
27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद राज्य में दंगे भड़क गए थे। गुजरात हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2017 में इस मामले में 31 दोषियों की सजा को बरकरार रखा था। इनमें से 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था। राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वहीं, कई दोषियों ने भी हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उनकी सजा बरकरार रखी गई थी।