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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने विशेष अनुमति याचिका में 20 बार सहमति से संबंध का उल्लेख करने पर एक वकील को फटकार लगाई। कहा, आपको कानून की एबीसीडी नहीं पता है कि आप एसएलपी क्यों दायर कर रहे हैं।
याचिका में बार-बार सहमति से संबंध शब्द को लिखा था…
दरअसल, न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह के साथ पीठ में शामिल न्यायमूर्ति सूर्यकांत एक जमानत याचिका की सुनवाई कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने वकील को इस बात पर फटकार लगाई कि उसने नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोपी अपने मुवक्किल की जमानत याचिका में बार-बार सहमति से संबंध शब्द को लिखा था। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “याचिका पढ़कर हम मानसिक रूप से बीमार हो गए। कम से कम 20 बार आपने एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) में सहमति से संबंध लिखने का आरोप लगाया है। आपको पता है कि लड़की की उम्र क्या है?” आपने खुद याचिका में कहा है कि वह नाबालिग थी। पीठ वकील के साथ इस तथ्य को स्पष्ट करना चाहती थी कि यदि पीड़िता नाबालिग है तो सहमति महत्वहीन है। आपने हर पैराग्राफ में सहमति से संबंध लिखा है।
क्या आप एओआर (एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड) हैं…
न्यायमूर्ति सूर्यकांत बोले, सहमति से संबंध से आपका क्या मतलब है? आपको कानून की एबीसीडी नहीं पता है कि आप एसएलपी क्यों दायर कर रहे हैं। वकील पर निशाना साधते हुए पीठ ने वकील से पूछा, क्या आप एओआर (एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड) हैं? दरअसल, एओआर वह वकील होते हैं जो सुप्रीम कोर्ट में मामले और दलीलें दायर करने के लिए अधिकृत होते हैं। शीर्ष अदालत वकीलों के लिए एओआर परीक्षा आयोजित करती है। पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, ये लोग (एओआर के लिए) कैसे योग्य हैं? आपको मूल कानून नहीं पता है।