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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भारत की जेलों में बंद उन पाकिस्तानी कैदियों को रिहा करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। जिन्होंने या तो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं या बरी हो गए हैं।
ऐसी ही एक याचिका शीर्ष अदालत में लंबित…
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि इसी तरह की एक याचिका शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है। वकील नितिन मट्टू द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि जिन पाकिस्तानी कैदियों ने अपनी सजा पूरी कर ली है या बरी हो गए हैं या जिनके खिलाफ कोई मामला नहीं है, लेकिन जेलों में हैं, उन्हें रिहा किया जाना चाहिए।
आरटीआई में मिली पाकिस्तानी कैदियों की जानकारी
याचिका में कहा गया है कि केंद्र को विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर कैदियों की सूची ऑनलाइन उपलब्ध कराने का निर्देश देना चाहिए, ताकि न्याय के हित में पाकिस्तानी जेलों में बंद भारतीय नागरिकों के रिश्तेदारों को ढूंढा जा सके। मट्टू ने कहा कि उन्होंने एक आरटीआई आवेदन दायर किया और भारत की जेलों में बंद पाकिस्तानी कैदियों की सूची के बारे में जानकारी मांगी, जिनमें विचाराधीन कैदी भी शामिल हैं और जिनकी सजा पूरी हो चुकी है।
भारतीय जेल में बंद 103 पाकिस्तानी से सजा कर लीं पूरी
23 अप्रैल, 2024 को आरटीआई आवेदन के जवाब में सरकार द्वारा जारी सूची के अनुसार, भारतीय जेलों में 337 व्यक्ति बंद हैं। 337 में से 103 पाकिस्तानी नागरिकता वाले लोगों ने अपनी सजा पूरी कर ली है और अभी भी यहां जेल में बंद हैं। वकील ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तानी कैदियों की तत्काल रिहाई के लिए सरकार से संपर्क किया था, लेकिन सरकार ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
राज्य के खजाने पाकिस्तानी कैदियों पर क्यों हो रहे खर्च
मट्टू ने कहा कि याचिका भरने के पीछे उनका इरादा यह सुनिश्चित करना है कि भारत की जेलों में अवैध रूप से बंद किसी भी कैदी को तत्काल प्रभाव से रिहा किया जाए। जेलों में बंद कैदियों ने अपनी सजा पूरी कर ली है, लेकिन फिर भी जेल में बंद हैं, जिसके कारण उन राज्यों के सरकारी खजाने को सीधा नुकसान हो रहा है, जहां कैदी जेल में बंद हैं। इसलिए, राज्य के खजाने को होने वाला नुकसान बड़े पैमाने पर जनता पर सीधा नुकसान है। इसके अलावा, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 ए के अनुसार कैदियों को उनके देश में रिहा न करना उनके साथ अन्याय है।