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SODOMY News: अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (ASJ) बबीता पुनिया की अदालत ने फरवरी 2023 में 12 वर्षीय लड़के का अपहरण कर उसके साथ अप्राकृतिक यौन शोषण (सोडोमी) करने के मामले में 47 वर्षीय दोषी को ताउम्र जेल की सजा दी।
यह मानव गरिमा, सुरक्षा और जीवन के मूल्यों का उल्लंघन…
अपने 16 अप्रैल के आदेश में अदालत ने कहा, दोषी द्वारा किया गया अपराध न केवल गंभीर और जघन्य है, बल्कि यह चौंकाने वाला भी है। यह मानव गरिमा, सुरक्षा और जीवन के मूल्यों का उल्लंघन करता है। अतः उसे समाज से स्थायी रूप से हटाने की मांग उचित है, क्योंकि यदि उसे दोबारा समाज में आने की अनुमति दी जाती है, तो वह खतरा उत्पन्न कर सकता है। अदालत ने कहा कि यह अपराध मानव गरिमा के मूल्यों का उल्लंघन करता है और आरोपी को समाज से स्थायी रूप से हटाना आवश्यक है।अदालत ने 47 वर्षीय दोषी को पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 (गंभीर अप्राकृतिक यौन हमला) और अप्राकृतिक कृत्यों से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया था। अदालत ने दोषी को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसका अर्थ है कि उसे अपने प्राकृतिक जीवन के शेष समय तक जेल में रहना होगा।
सामाजिक-मानसिक कारकों पर विचार करें…
जज पुनिया ने नीति-निर्माताओं से आग्रह किया कि वे बलात्कार के मामलों में वृद्धि के स्थायी समाधान हेतु सामाजिक-मानसिक कारकों पर विचार करें। कहा, जब तक बलात्कार को समाप्त करने की रणनीति बाल यौन उत्पीड़न के कारणों को संबोधित नहीं करती, तब तक हम केवल इसके लक्षणों का इलाज करते रहेंगे, न कि कारणों का, और ऐसे अपराध दोहराए जाते रहेंगे। अदालत ने दोषी की दया की अपील को खारिज करते हुए कहा कि पीड़ित बच्चे ने अदालत में बताया था कि दर्द के चलते चिल्लाने पर उसे पीटा गया था।
दोषी का अशिक्षित होना कोई रियायत का कारण नहीं बनता…
जज ने कहा, “जो व्यक्ति एक मासूम पर दया नहीं कर सका, वह अदालत की सहानुभूति का पात्र नहीं हो सकता। दोषी ने यह तर्क दिया कि वह अपने परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है और इस आधार पर उसे कम सजा दी जाए, जिसे न्यायाधीश ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, मैं इस दलील से सहमत नहीं हूं। उसे यह मालूम होना चाहिए था कि इस अपराध को करने से वह अपने परिवार को संकट में डाल देगा। इसलिए, उसके परिवार के पालनकर्ता होने का तथ्य उसके पक्ष में कोई राहत नहीं ला सकता। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि विशेषकर ऐसे “नैतिक रूप से घृणित” पॉक्सो या सोडोमी मामलों में दोषी का अशिक्षित होना कोई रियायत का कारण नहीं बनता।