
Bombay High court
SHELTER HOME-PARTY: बॉम्बे हाईकोर्ट ने 13 साल पहले मुंबई के एक शेल्टर होम में दिव्यांग बच्चों की मौजूदगी में शराब और डांसर्स के साथ न्यू ईयर पार्टी होने पर हैरानी जताई है।
किसी अफसर पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई: कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मर्ने की बेंच ने कहा कि यह चौंकाने वाली घटना 31 दिसंबर 2012 को हुई थी, लेकिन अब तक किसी भी अधिकारी या शेल्टर होम के अधीक्षक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कोर्ट ने इस मामले में जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए नियुक्त आयुक्त को 6 हफ्ते में जांच पूरी कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपने को कहा है, ताकि दोषी अफसरों पर उचित कार्रवाई की जा सके। इसके साथ ही कोर्ट ने तीन महीने में अनुपालन रिपोर्ट भी मांगी है।
पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन से खुलासा
यह मामला 2014 में सामाजिक कार्यकर्ता संगीता पुणेकर द्वारा दायर जनहित याचिका के जरिए सामने आया था। याचिका में उपनगर मानखुर्द स्थित राज्य सहायता प्राप्त शेल्टर होम की स्थिति पर चिंता जताई गई थी।
265 बच्चों का था शेल्टर होम
यह शेल्टर होम उस समय चिल्ड्रन एड सोसायटी द्वारा चलाया जा रहा था और इसमें 265 बच्चे रह रहे थे। याचिका में दावा किया गया कि 2014 में इसी शेल्टर होम के दो कर्मचारियों पर दो मानसिक रूप से कमजोर लड़कियों के यौन शोषण का आरोप भी लगा था।
न्यू ईयर पार्टी में मौजूद थीं 26 दिव्यांग लड़कियां
याचिका के अनुसार, 31 दिसंबर 2012 को हुई न्यू ईयर पार्टी में 26 मानसिक रूप से कमजोर लड़कियां और शेल्टर होम के अधिकारी मौजूद थे। पार्टी में शराब परोसी गई और महिला डांसर्स पर पैसे उड़ाए गए। कोर्ट ने इस पूरे मामले को बेहद गंभीर मानते हुए कहा कि इतने साल बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जो बेहद चिंताजनक है।