
Supreme court room scene...AI IMAGE
SC News: सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों द्वारा अत्यधिक लंबी और अनावश्यक दस्तावेजों से भरी अपीलें दाखिल करने की प्रवृत्ति की कड़ी आलोचना की।
इसे अब बंद होना चाहिए…
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा, “यह क्या प्रवृत्ति बन गई है? सारांश (synopsis) में ही केस कानून लिख दिए जाते हैं, अपील के आधार भी वहीं डाल दिए जाते हैं। और फिर बहुत मोटा कंपाइलेशन बना दिया जाता है। अब तो सुप्रीम कोर्ट में हर मामले में यही देखने को मिल रहा है—synopsis के पहले हिस्से में उद्धरण होते हैं, फिर अपील के आधार दोहराए जाते हैं। इसे अब बंद होना चाहिए।
याचिका में कानून नहीं लिखा जाना चाहिए
पीठ ने आगे कहा, हमारे सामने यह किस तरह का भारी-भरकम संकलन रखा जा रहा है? कंपाइलेशन की मोटाई इस बात पर निर्भर करने लगी है कि याचिकाकर्ता की आर्थिक स्थिति कैसी है और वह कितना बड़ा सीनियर वकील रख सकता है। यह हर रोज हो रहा है। हम यह मूल सिद्धांत भूल गए हैं कि याचिका में कानून नहीं लिखा जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन को भेजी जाए…
शीर्ष अदालत ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि इन कंपाइलेशनों में केस का सारांश, चुनौती के आधार और साथ ही केस कानून सभी को एक ही जगह डाल दिया जाता है। हम इस प्रवृत्ति की निंदा करते हैं। इस आदेश की एक प्रति सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन को भेजी जाए। इस टिप्पणी से कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता को बनाए रखने के लिए अनावश्यक दस्तावेजों और भारी फाइलों से बचा जाना चाहिए।