
forensics investigator marking an item on the street
SC News:सुप्रीम कोर्ट ने कहा, केवल मकसद की अनुपस्थिति आरोपी को बरी करने का एकमात्र आधार नहीं बनाया जा सकता है।
पिता इकलौते बेटे की हत्या नहीं कर सकता की दलील बचकाना
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने उस व्यक्ति की यह दलील बचकाना (puerile) करार दी कि कोई पिता अपने इकलौते बेटे की हत्या नहीं कर सकता। अदालत ने एक व्यक्ति द्वारा अपने बेटे की हत्या के मामले में दी गई उम्रकैद की सज़ा को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि अपीलकर्ता की यह एक और प्रमुख दलील थी कि उसके पास अपने बेटे की हत्या का कोई मकसद नहीं था।
दिल्ली हाईकोर्ट के अगस्त 2022 के फैसले को चुनौती दी थी
पीठ ने कहा, जिस प्रकार केवल मजबूत मकसद से दोषसिद्धि नहीं होती, उसी प्रकार केवल मकसद की अनुपस्थिति से बरी नहीं किया जा सकता। यह फैसला उस व्यक्ति की अपील पर आया, जिसमें उसने दिल्ली हाईकोर्ट के अगस्त 2022 के फैसले को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दी गई दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा को सही ठहराया था। शीर्ष अदालत ने अपने पुराने निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि यदि किसी मामले में केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर केस बनाया गया हो, तो मकसद की अनुपस्थिति आरोपी के पक्ष में जा सकती है।
केवल मजबूत मकसद से दोषसिद्धि नहीं हो सकती
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि जब चश्मदीद गवाहों की गवाही विश्वसनीय न हो, तो केवल मजबूत मकसद से दोषसिद्धि नहीं हो सकती। लेकिन अगर परिस्थितिजन्य साक्ष्य बेहद सटीक और मजबूत हों और वे केवल आरोपी की दोषिता की ओर संकेत करें, तब मकसद की पूर्ण अनुपस्थिति भी कोई मायने नहीं रखती। अदालत ने कहा कि मकसद अपराधी के मन के भीतर छुपा होता है, जिसे जांच एजेंसियां अक्सर उजागर नहीं कर पातीं। हालांकि अदालत ने माना कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों वाले मामलों में मकसद की पूरी अनुपस्थिति आरोपी के पक्ष में जा सकती है, लेकिन यह सार्वभौमिक सिद्धांत नहीं हो सकता कि बिना मकसद के सारे साक्ष्य को नजरअंदाज कर दिया जाए।
यह है मामला
परिवार में आरोपी, उसकी पत्नी और पांच बच्चे थे। अभियोजन के अनुसार, 14-15 दिसंबर, 2012 की रात, पत्नी और बेटियों ने पति को चिल्लाते हुए सुना कि बेटा मर गया।आरोपी ने परिवार को यह समझाने की कोशिश की कि बेटे की मौत पेंचकस से खुद को घायल करने के कारण आत्महत्या है। लेकिन जांच में यह सामने आया कि मौत करीब से गोली मारने के कारण हुई थी। पीठ ने अपील को खारिज करते हुए कहा कि वह दोषसिद्धि और सज़ा में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी।