
Supreme Court
SC News: सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सैनिकों और सशस्त्र बलों के कर्मियों के बच्चों के लिए चिकित्सा पाठ्यक्रमों में एक प्रतिशत सीटों के आरक्षण को बरकरार रखने के आदेश को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है।
शीर्ष अदालत ने जारी किया नोटिस
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, उच्च न्यायालय में रिट याचिकाओं की खारिज से पहले की स्थिति तब तक लागू रहेगी, जब तक आगे के आदेश नहीं दिए जाते। इस मामले में तेलंगाना राज्य, केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ताओं ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि एक प्रतिशत आरक्षण का लाभ केवल सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों के बच्चों तक ही सीमित रखा गया था और इसमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के कर्मियों के बच्चों को शामिल नहीं किया गया था।
दो अलग-अलग याचिकाओं पर आया था आदेश
उच्च न्यायालय ने दो याचिकाओं पर यह आदेश दिया था, जो आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के गैर-सहायता प्राप्त गैर-अल्पसंख्यक व्यावसायिक संस्थानों (2007 के चिकित्सा और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के विनियमन) नियमों और तेलंगाना चिकित्सा एवं दंत महाविद्यालय प्रवेश (MBBS और BDS पाठ्यक्रमों में प्रवेश) नियम, 2017 की संवैधानिकता को चुनौती दे रही थीं।
आरक्षण को सीमित करना भेदभावपूर्ण और अवैध है…
उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका एक ऐसे याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई थी, जिसके पिता ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) में सेवा दी थी। याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) 2024 दी थी। याचिका में कहा गया कि BSF, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और सशस्त्र सीमा बल (SSB) CAPF का हिस्सा हैं। याचिका में यह तर्क दिया गया कि सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों के बच्चों के लिए आरक्षित एक प्रतिशत सीटों तक आरक्षण को सीमित करना भेदभावपूर्ण और अवैध है।
CAPF कर्मियों की सेवा शर्तों से भिन्न होती है सेना, नाैसेना के नियम व अधिनियम
उच्च न्यायालय ने कहा, इस मामले में रोचक सवाल यह है कि क्या BSF कर्मियों के बच्चे भी समान श्रेणी में आते हैं? दूसरे शब्दों में, क्या CAPF कर्मियों के बच्चों को सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों के बच्चों के बराबर माना जा सकता है? उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों के लिए अलग-अलग अधिनियम, नियम लागू होते हैं और उनकी सेवा शर्तें CAPF कर्मियों की सेवा शर्तों से भिन्न होती हैं। अदालत ने यह भी माना कि तेलंगाना राज्य में कुछ पाठ्यक्रमों में सरकार ने सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों के बच्चों के अलावा CAPF कर्मियों के बच्चों को भी आरक्षण दिया है।
दोनों के बीच समानता स्थापित नहीं होती…
अदालत ने यह जोड़ा कि सिर्फ इसलिए कि कुछ पाठ्यक्रमों में दोनों श्रेणियों को आरक्षण दिया गया है, इससे दोनों के बीच समानता स्थापित नहीं होती और न ही वर्तमान याचिकाकर्ताओं के पक्ष में कोई अधिकार उत्पन्न होता है। याचिकाओं को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने माना कि ये नियम संविधान के अनुच्छेद 14 में निहित समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करते और न ही असंवैधानिक हैं।