
Vinayak Damodar Savarkar
SC News: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को विनायक दामोदर सावरकर का नाम प्रतीक और नाम (गलत इस्तेमाल की रोकथाम) अधिनियम, 1950 की अनुसूची में शामिल करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
कुछ तथ्य कानूनी रूप से प्रमाणित करने का मौका मिलना चाहिए
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। याचिकाकर्ता ने खुद कोर्ट में पेश होकर कहा कि वह पिछले 30 सालों से सावरकर पर रिसर्च कर रहे हैं और उन्हें कुछ तथ्य कानूनी रूप से प्रमाणित करने का मौका मिलना चाहिए। यह कानून पेशेवर और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कुछ प्रतीकों और नामों के अनुचित उपयोग को रोकने के लिए बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा, “मैं कोर्ट से अनुरोध करता हूं कि वह केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को निर्देश दे कि सावरकर का नाम इस कानून की अनुसूची में जोड़ा जाए।” इस पर सीजेआई ने पूछा, “आपके मौलिक अधिकार का उल्लंघन कहां हुआ है?
याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 51ए का हवाला दिया
याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 51ए का हवाला दिया, जो नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी उनके मौलिक कर्तव्यों में बाधा नहीं डाल सकते। इस पर कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत याचिका तभी स्वीकार की जा सकती है जब मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ हो। बेंच ने कहा, “अगर आप चाहते हैं कि कोई बात पाठ्यक्रम में शामिल हो, तो केंद्र सरकार को ज्ञापन दें।” याचिकाकर्ता ने बताया कि वह पहले ही सरकार को ज्ञापन दे चुके हैं। इसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
राहुल गांधी के बयान पर पहले भी जताई थी नाराजगी
इससे पहले 25 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की एक रैली में सावरकर पर दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को “गैर-जिम्मेदाराना” बताया था। हालांकि कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले पर रोक लगा दी थी।