
Bar Council Of India Office, New Delhi
SC news: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बार काउंसिल ऑफ इंडिया को कानूनी शिक्षा में दखल देने का कोई काम नहीं है, इसे न्यायविदों और शिक्षाविदों पर छोड़ देना चाहिए।
बीसीआई की याचिका खारिज की
जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 23 नवंबर, 2023 के केरल उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली बार काउंसिल ऑफ इंडिया की याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा हत्या के लिए दोषी ठहराए गए दो लोगों को एलएलबी कक्षाओं को वर्चुअल तरीके से करने की अनुमति दी गई थी।
पीठ व बीसीआई के बीच चली बहस
जस्टिस कांत ने टिप्पणी की, बीसीआई को कानूनी शिक्षा के इस हिस्से में जाने का कोई काम नहीं है…कानूनी शिक्षा को न्यायविदों, कानूनी शिक्षाविदों पर छोड़ देना चाहिए…और कृपया इस देश की कानूनी शिक्षा पर कुछ दया करें। बीसीआई के वकील ने कहा कि बड़ा सवाल दोषियों को वर्चुअल तरीके से कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देने का है, जो यूजीसी विनियमों के विपरीत है। पीठ ने पूछा कि जब उन्हें उच्च न्यायालयों द्वारा बरी कर दिया जाता है तो क्या होता है और कहा, बीसीआई इस तरह के प्रगतिशील आदेश को क्यों चुनौती देगा?” पीठ ने कहा कि बीसीआई को रूढ़िवादी और रूढ़िवादी दृष्टिकोण अपनाने के बजाय उच्च न्यायालय के आदेश का समर्थन करना चाहिए था।
कानून के बड़े सवालों पर विचार करने का आग्रह: बीसीआई
बीसीआई के वकील ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि अदालत से केवल मामले में शामिल कानून के बड़े सवाल पर विचार करने का आग्रह कर रहे हैं। शीर्ष अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया और मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए दोनों दोषियों को ऑनलाइन मोड के माध्यम से एलएलबी कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देने वाले केरल उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।