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SC News: सुप्रीम कोर्ट ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) UG-2025 के कुछ सवालों में गड़बड़ियों को लेकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज के कंसोर्टियम पर नाराजगी जताई है।
हाईकोर्ट के 23 अप्रैल के फैसले को चुनौती दी गई
जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह टिप्पणी उस याचिका की सुनवाई के दौरान की, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के 23 अप्रैल के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने CLAT UG-2025 के मार्कशीट संशोधित कर फाइनल लिस्ट दोबारा जारी करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि लाखों छात्रों के भविष्य से जुड़ी इस परीक्षा में सवाल तैयार करने का तरीका बेहद लापरवाही भरा है।
कोर्ट ने कहा- जब शिक्षाविद ही गलती करें, तो कोर्ट को दखल देना पड़ता है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर शिक्षा से जुड़े मामलों में कोर्ट दखल नहीं देता, क्योंकि यह उसका क्षेत्र नहीं है। लेकिन जब खुद शिक्षाविद ऐसी गलती करें, जिससे लाखों छात्रों का करियर प्रभावित हो, तो कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ता है। परीक्षा 1 दिसंबर 2024 को हुई थी और रिजल्ट 7 दिसंबर को आया था। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें मार्कशीट संशोधित करने को कहा गया था। CLAT PG-2025 के सवालों को लेकर दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई बाकी है।
CLAT-2018 में भी हुई थी गड़बड़ी, लेकिन केंद्र ने कोई कदम नहीं उठाया
कोर्ट ने CLAT-2018 में हुई गड़बड़ियों का भी जिक्र किया और कहा कि तब भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को एक कमेटी बनाने और जिम्मेदार संस्था पर कार्रवाई करने को कहा था। लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया। कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 16 मई को तय की है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी पूछा कि CLAT के आयोजन के लिए कोई स्थायी व्यवस्था क्यों नहीं है। 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें कंसोर्टियम को मार्कशीट संशोधित कर फाइनल लिस्ट दोबारा जारी करने को कहा गया था।
छह सवालों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- पर्यावरण से जुड़े एक सवाल में उत्तर कुंजी में कहा गया था कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना सिर्फ राज्य की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने इसे पूरी तरह गलत बताया और कहा कि यह राज्य और नागरिक, दोनों की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस सवाल में ऑप्शन C और D चुनने वालों को पॉजिटिव मार्किंग मिलेगी, जबकि A और B चुनने वालों को निगेटिव मार्किंग दी जाए।
- एक अन्य सवाल को हटाने के हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया और कहा कि ऑप्शन B चुनने वालों को अंक दिए जाएं।
- एक सवाल में कोर्ट हाईकोर्ट से सहमत रहा और कहा कि सही उत्तर ऑप्शन C है।
- दो सवालों में से एक को कंसोर्टियम ने खुद हटा दिया था। कोर्ट ने कहा कि दोनों में ज्यादा फर्क नहीं है, इसलिए दूसरा सवाल भी हटा दिया जाए।
- दो और सवाल, जिनमें से एक में गणितीय विश्लेषण की जरूरत थी, उन्हें भी हटाने का आदेश दिया गया।