
Supreme Court India
SC news: सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के दायरे में लाने की मांग वाली दो जनहित याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई टाल दी।
काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाना उद्देश्य
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिकाओं पर सुनवाई करनी थी। लेकिन सीजेआई ने कहा कि वे 13 मई को रिटायर हो रहे हैं, इसलिए अब यह मामला 15 मई को सुना जा सकता है। इन याचिकाओं का मकसद चुनावों में काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाना और राजनीतिक दलों की जवाबदेही तय करना है।
10 साल से लंबित है मामला
एडीआर की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि यह याचिका पिछले 10 साल से लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने 7 जुलाई 2015 को केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और छह राजनीतिक दलों को नोटिस जारी किया था। इनमें कांग्रेस, बीजेपी, सीपीआई, एनसीपी और बीएसपी शामिल हैं।
क्या है याचिकाओं की मांग
- राजनीतिक दलों को सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित किया जाए
उपाध्याय की याचिका में मांग की गई है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29ए के तहत पंजीकृत सभी राजनीतिक दलों को आरटीआई कानून की धारा 2(एच) के तहत “पब्लिक अथॉरिटी” घोषित किया जाए। इससे उनकी पारदर्शिता और जवाबदेही तय हो सकेगी। - चुनाव आयोग को मिले सख्त अधिकार
याचिका में चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह राजनीतिक दलों द्वारा आरटीआई, आयकर कानून और चुनावी नियमों का पालन सुनिश्चित करे। यदि कोई दल इनका पालन नहीं करता है तो उसका पंजीकरण रद्द किया जाए। - काले धन और भ्रष्टाचार पर रोक लगे
याचिकाओं में कहा गया है कि राजनीतिक दलों को सरकारों से मुफ्त या रियायती दरों पर जमीन, इमारतें और अन्य सुविधाएं मिलती हैं। दूरदर्शन चुनावों के दौरान मुफ्त एयरटाइम देता है। यह सब अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी फंडिंग है, जो हजारों करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है। - 20 हजार से कम के चंदे की भी जानकारी मांगी
एडीआर ने एक अलग याचिका में मांग की है कि राजनीतिक दल 20 हजार रुपए से कम के चंदों की भी जानकारी सार्वजनिक करें। भूषण ने कहा कि राजनीतिक दल सार्वजनिक प्राधिकरण हैं, इसलिए उन पर आरटीआई लागू होना चाहिए। - राजनीतिक दलों को टैक्स छूट, लेकिन पारदर्शिता नहीं
याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों को चंदों पर आयकर नहीं देना होता और 20 हजार रुपए से कम के चंदों का स्रोत बताना जरूरी नहीं है। इसके बावजूद वे संसद और विधानसभाओं में कानून बनाते हैं और जनता पर प्रभाव डालते हैं। - चंदे और फंडिंग की पूरी जानकारी मांगी
एडीआर ने मांग की है कि सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को यह बताना चाहिए कि उन्हें किस-किस से कितना चंदा मिला, चाहे वह राशि कितनी भी हो। इसके साथ ही चुनावी ट्रस्ट से मिले चंदों की भी जानकारी सार्वजनिक की जाए। - संविधान की 10वीं अनुसूची का हवाला
याचिका में कहा गया है कि संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत सांसदों और विधायकों को अपने दल के निर्देशों का पालन करना होता है। इससे यह साफ होता है कि राजनीतिक दलों का जनता और लोकतंत्र पर सीधा प्रभाव है, इसलिए उन पर आरटीआई लागू होना जरूरी है।