
EV Charging Station in Delhi
SC News: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह बताने को कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए उसने समय-समय पर कौन-कौन से नीतिगत फैसले लिए हैं।
कई सवालों का जवाब देने के लिए कहा…
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा- ईवी के उपयोग को लेकर अब तक क्या बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया गया है। इन सवालों का जवाब देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 मई की तारीख तय की। शीर्ष अदालत यह सुनवाई एक जनहित याचिका (PIL) पर कर रही थी, जिसमें सरकार की EVs को बढ़ावा देने वाली नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन की मांग की गई है।
सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से दायर की याचिका
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकार को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना चाहिए। भूषण ने यह भी कहा कि कमजोर चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लोगों के लिए सबसे बड़ी बाधा है, क्योंकि अभी चार्जिंग स्टेशन एक-दूसरे से 400 किलोमीटर तक की दूरी पर हैं। जब भूषण ने यह सवाल उठाया कि अगर सरकार स्वयं अपने विभागों में EVs का उपयोग नहीं करेगी तो बाकी विभाग और संस्थान इसका पालन कैसे करेंगे, तो न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि यह सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि अन्य संस्थानों को भी आगे आना होगा।
भारत में ड्राइवर होना रोजगार का एक बड़ा स्रोत है
पीठ ने इस बात पर भी चिंता जताई कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ड्राइवरों की जगह ले सकता है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार प्रभावित हो सकता है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा, “मेरी चिंता यह है कि AI कहीं इन ड्राइवरों का रोजगार न छीन ले… भारत में ड्राइवर होना रोजगार का एक बड़ा स्रोत है।” यह टिप्पणी उस समय आई जब प्रशांत भूषण ने कैलिफोर्निया की एक हालिया घटना का जिक्र किया, जहां एक AI-चालित उबर कार बिना ड्राइवर के यात्री को लेने पहुंची।
AI एक तेजी से विकसित हो रही तकनीक है
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि AI एक तेजी से विकसित हो रही तकनीक है और इसका कोई भी मॉडल कुछ ही महीनों में पुराना हो जाता है। यह जनहित याचिका 2012 में बनी एक नीति के कार्यान्वयन की मांग करती है, जिसमें सार्वजनिक परिवहन और सरकारी विभागों में इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को अनिवार्य किया गया है। इस नीति में यह भी प्रावधान है कि सार्वजनिक इमारतों में चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएं।