
Madhya Pradesh High Court
Pregnancy Case: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 17 साल की किशोरी को 21 सप्ताह का गर्भ होने पर गर्भपात कराए जाने की अनुमति दी है।
मामले को जबरन हाई कोर्ट भेजा
कोर्ट ने फैसले में कहा है कि 21 सप्ताह से कम के गर्भ के मामले में हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने स्पष्ट गाइड लाइन जारी की है। इस मामले में मेडिकल बोर्ड ने रिपोर्ट भी सेशन कोर्ट में पेश कर दी थी। गर्भपात किए जाने की अनुशंसा मेडिकल बोर्ड ने की थी। बावजूद सेशन जज ने निर्णय नहीं लिया। मामले को जबरन हाई कोर्ट भेज दिया। इससे एक सप्ताह का महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो गया। ज्यादती की शिकार हुई किशोरी गर्भवती हो गई थी।
20-21 सप्ताह का गर्भ होने और गर्भपात किए जाने की रिपोर्ट दी थी
परिवार ने गर्भपात की अनुमति के लिए प्रकरण अपर सत्र न्यायालय में लगाया था। मेडिकल बोर्ड ने 20-21 सप्ताह का गर्भ होने और गर्भपात किए जाने की रिपोर्ट दी थी। बावजूद प्रकरण हाई कोर्ट को भेज दिया था। जस्टिस पवन कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने फैसले में कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार गर्भपात किया जाए। बालिका के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाए।