
Nithari House of Horror
Nithari killings:सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वर्ष 2006 के निठारी सीरियल किलिंग मामले में सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करेगा।
सीबीआई सहित यूपी सरकार व अन्य ने दायर की है याचिका
शीर्ष अदालत ने पिछले साल केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर याचिकाओं सहित अलग-अलग याचिकाओं की जांच करने पर सहमति व्यक्त की थी, जिसमें 16 अक्टूबर, 2023 को कोली को बरी करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष मंगलवार को याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। मामले में पेश हुए वकीलों में से एक ने पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और अनुरोध किया कि याचिकाओं पर अगले सप्ताह सुनवाई की जाए। इसे एक “असाधारण मामला” बताते हुए, वकील ने कहा कि निठारी में लगभग दो साल से बच्चे लापता हो रहे थे और बाद में, पुलिस को कई कंकाल मिले।
पीड़ितों में से एक के पिता ने चुनौती दी है…
वकील ने कहा कि कोली को मामले में गिरफ्तार किया गया था और लगभग 60 दिनों तक पुलिस हिरासत में रखा गया था। कोली के वकील ने पहले सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि उसके खिलाफ सबूत एक इकबालिया बयान है, जो मामले में उसकी पुलिस हिरासत के कई दिनों बाद दर्ज किया गया था। शीर्ष न्यायालय में एक याचिका पीड़ितों में से एक के पिता ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की है।
28 सितंबर, 2010 को निचली अदालत ने मौत की सजा दी थी
कोली को 28 सितंबर, 2010 को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके घरेलू सहायक कोली पर उत्तर प्रदेश के निठारी में अपने पड़ोस के लोगों, जिनमें अधिकतर बच्चे थे, के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप था। उच्च न्यायालय ने उन्हें मृत्युदंड मामले में बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष उनके अपराध को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है और इसे बेतरतीब जांच कहा। कोली को 12 मामलों में और पंढेर को दो मामलों में दी गई मृत्युदंड की सजा को पलटते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि जांच जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात से कम नहीं है।
कोली को हाईकोर्ट ने मृत्युदंड की सजा को आजीवन करावास में बदल दिया
उच्च न्यायालय ने कोली और पंढेर द्वारा दायर कई अपीलों को स्वीकार कर लिया, जिन्होंने गाजियाबाद में सीबीआई अदालत द्वारा दी गई मृत्युदंड की सजा को चुनौती दी थी। 2007 में दोनों के खिलाफ कुल 19 मामले दर्ज किए गए थे और सबूतों के अभाव में सीबीआई ने तीन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। कोली को शेष 16 मामलों में से तीन में बरी कर दिया गया और एक मामले में उसकी मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
29 दिसंबर 2006 को हुआ था निठारी कांड
29 दिसंबर, 2006 को राष्ट्रीय राजधानी की सीमा से लगे नोएडा के निठारी में पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के बाद यह हत्या प्रकाश में आई। घर के आस-पास के इलाके में नालों की खुदाई और तलाशी के बाद और भी कंकाल मिले। इनमें से ज़्यादातर अवशेष उन बच्चों और युवतियों के थे जो इलाके से लापता हो गए थे। सीबीआई ने अपराध के 10 दिनों के भीतर ही मामले को अपने हाथ में ले लिया और उसकी तलाशी के परिणामस्वरूप और भी मानव अवशेष बरामद हुए।