
Delhi High Court
Minor Rape Case: 29 हफ्ते की गर्भवती एक नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि वह गर्भपात नहीं कराना चाहती और बच्चे को जन्म देना चाहती है।
दिल्ली के नारी निकेतन निर्मल छाया में शिफ्ट करने का आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद उसने कोर्ट में दायर गर्भपात की अनुमति वाली याचिका वापस ले ली। बच्ची के माता-पिता इस फैसले के खिलाफ हैं, इसलिए कोर्ट ने उसे दिल्ली के नारी निकेतन निर्मल छाया में शिफ्ट करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच के सामने सुनवाई के दौरान नाबालिग ने कहा कि वह अब अपने माता-पिता के घर नहीं रह सकती, क्योंकि वे उसके फैसले के खिलाफ हैं। उसने कोर्ट से शेल्टर में रहने की मांग की।
कोर्ट ने कहा- बच्ची को सुरक्षित रखा जाए
कोर्ट ने 4 जून को दिए आदेश में कहा, “बच्ची को दिल्ली के हरिनगर स्थित निर्मल छाया में रखा जाए। जांच अधिकारी, शेल्टर होम और दिल्ली सरकार के संबंधित अधिकारी मिलकर यह सुनिश्चित करें कि बच्ची को सुरक्षित रखा जाए और उसकी गर्भावस्था के दौरान पूरी देखभाल हो।”
मेडिकल बोर्ड ने कहा- गर्भपात सुरक्षित नहीं
इस मामले में बच्ची के माता-पिता ने 29 मई को हाई कोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल में मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया। बोर्ड ने 30 मई को रिपोर्ट दी, जिसमें कहा गया कि बच्ची की मेडिकल स्थिति और गर्भावस्था की अवधि को देखते हुए गर्भपात सुरक्षित नहीं है।
बच्ची को खून चढ़ाया गया, इलाज जारी
डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची का हीमोग्लोबिन काफी कम था, इसलिए उसे दो यूनिट खून चढ़ाया गया। उसे बुखार और संक्रमण भी था। कोर्ट ने डीडीयू अस्पताल को निर्देश दिया कि बच्ची को पूरी मेडिकल सुविधा दी जाए और इलाज के बाद उसकी स्थिति की दोबारा समीक्षा की जाए।
कानूनी प्रक्रिया के तहत अगली रिपोर्ट मांगी गई
कोर्ट ने एमटीपी एक्ट, 2021 के संशोधित नियमों और स्वास्थ्य मंत्रालय की 2017 की गाइडलाइन के अनुसार मेडिकल बोर्ड से दोबारा रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन अगली सुनवाई में बच्ची ने गर्भपात से इनकार कर दिया और याचिका वापस ले ली।
एफआईआर दर्ज, कानूनी कार्रवाई जारी
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने पहले ही एफआईआर दर्ज कर ली है। बच्ची की ओर से वकील अन्वेष मधुकर कोर्ट में पेश हुए थे।