
The Meghalaya High Court
Meghalaya HC: मेघालय हाईकोर्ट राज्यभर में विभिन्न वेटब्रिज (तौल केंद्रों) पर कथित रूप से अधिकारी अधिक भार वाले ट्रकों को बिना उचित जांच के जाने देने के मामले की जांच कर रही है।
28 तौल कांटों के संचालन के खिलाफ जनहित याचिका दायर
मुख्य न्यायाधीश आई. पी. मुखर्जी और न्यायमूर्ति डब्ल्यू. डिएंगडोह की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की, जिसमें राज्य सरकार ने कोर्ट के निर्देश पर कराई गई अपनी जांच रिपोर्ट पेश की। सामाजिक कार्यकर्ता टेनी डार्ड एम. मराक ने जनहित याचिका दायर की है। जनहित याचिका में राज्य भर में 28 तौल कांटों के संचालन में सरकारी अधिकारियों के कथित कदाचार की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित करने की मांग की गई थी। शिकायत के अनुसार, ओवरलोड माल ढोने वाले वाहनों को बिना उचित वजन किए गुजरने दिया जाता है, जिससे राज्य को राजस्व का नुकसान होता है। पहले के एक आदेश में, अदालत ने प्रतिवादी राज्य को याचिकाकर्ता की उपस्थिति में तौल कांटों का निरीक्षण करके मामले की व्यापक जांच करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 13 जून, 2025 तय की है, जिसमें वह याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत rejoinder और राज्य सरकार की रिपोर्ट की समीक्षा करेगी।
सरकार ने 24 तौल केंद्र की रिपोर्ट अदालत को सौंपी
कोर्ट के आदेश में दिनांक 8 मई को राज्य सरकार की रिपोर्ट का सार प्रस्तुत करते हुए कहा गया कि इस रिपोर्ट के अनुसार यह जांच 24 वेटब्रिजों पर की गई। इनमें से किसी भी वेटब्रिज पर कोई भी ओवरलोडेड ट्रक गुजरता हुआ नहीं पाया गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. पी. अग्रवाल ने राज्य सरकार की रिपोर्ट की सत्यता पर सवाल उठाते हुए जवाबी हलफनामा (rejoinder) दाखिल करने के लिए समय की मांग की। कोर्ट ने यह आग्रह स्वीकार करते हुए 6 जून, 2025 तक rejoinder दाखिल करने की अनुमति दी है। यदि ये आरोप सिद्ध होते हैं, तो इससे राज्य को शुल्क और टैक्स के रूप में बड़ी राजस्व हानि हो सकती है। परिवहन नियमों के अनुसार भारी वाहनों को तौल प्रक्रिया से गुजरना अनिवार्य है ताकि वे निर्धारित भार सीमा का पालन करें — जो सड़क क्षति को रोकने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।