
The Madras High Court
Madras HC: मद्रास हाईकोर्ट ने IAS अधिकारी को अवमानना के एक मामले में एक महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई।
पारित आदेश का पालन करना वैकल्पिक नहीं: कोर्ट
अदालत ने पाया कि अधिकारी ने 2023 में पारित आदेश का जानबूझकर उल्लंघन किया। चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण (CMDA) के पूर्व सदस्य सचिव अंशुल मिश्रा को अदालत ने आदेश का पालन न करने पर 25,000 रुपये का मुआवजा भी अपनी तनख्वाह से दो वृद्ध याचिकाकर्ताओं, आर. ललिताम्बाई और के.एस. विश्वनाथन, को देने का निर्देश दिया है। 2023 में दिया गया आदेश दो साल बाद भी पूरा नहीं हुआ था। इसके चलते अदालत ने आदेशों को क्रियान्वित करने में देरी करने वाले अधिकारी पर सख्ती दिखाई। अदालत ने कहा कि एक बार आदेश पारित हो जाने के बाद, उसका पालन वैकल्पिक नहीं है।
जमीन अधिग्रहण का मामला
अदालत ने यह भी चिंता जताई कि सार्वजनिक प्राधिकरणों द्वारा ऐसा आचरण कोई अलग घटना नहीं है। अदालत ने कहा कि न्यायिक हस्तक्षेप के बाद भी, संबंधित प्राधिकरण किसी न किसी कारण से आदेशों का पालन या तो देर से करते हैं या पूरी तरह से नजरअंदाज कर देते हैं। अवमानना याचिका दो भाई-बहनों ने दायर की थी, जिनकी 17 सेंट जमीन 1983 में तमिलनाडु हाउसिंग बोर्ड की आवासीय परियोजनाओं के लिए चेन्नई के नेसापक्कम रोड के पास अधिग्रहित की गई थी। जब कई वर्षों तक जमीन का उपयोग नहीं हुआ, तो याचिकाकर्ताओं ने 2003 में जमीन वापस पाने के लिए कानूनी लड़ाई शुरू की।
2024 में IAS के खिलाफ अवमानना याचिका दायर
करीब 10.5 सेंट जमीन उन्हें लौटा दी गई, लेकिन बाकी 6.5 सेंट नेसापक्कम रोड चौड़ीकरण के लिए रखी गई। फिर याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और जमीन वापसी की डीड की मांग की। 2023 में, हाईकोर्ट ने CMDA के सदस्य सचिव को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ताओं की अपील पर दो महीने के भीतर उचित आदेश पारित करें। जब आदेश का पालन नहीं हुआ, तो याचिकाकर्ताओं ने 2024 में IAS अधिकारी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। साधारण कारावास में, दोषी व्यक्ति को बिना किसी कठोर श्रम के जेल में रखा जाता है। ऐसे दोषी व्यक्ति को केवल हल्के कार्य करने की आवश्यकता होती है।