
Patiala House Court
Law news: पटियाला हाउस कोर्ट के एक जिला जज के नाम और फर्जी हस्ताक्षर के साथ बनाए गए न्यायिक आदेश सोशल मीडिया पर वायरल किए जा रहे हैं।
यह है मामला
दर्ज केस के मुताबिक, जिला जज (कमर्शियल कोर्ट-01) ने बताया कि उनके नाम और फर्जी पदनाम ‘ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास’ के साथ कई बार सोशल मीडिया पर फर्जी दस्तावेज भेजे गए। पहली घटना 31 मई 2024 को सामने आई, जब ‘स्टेट बनाम अंकिता’ नाम से एक गिरफ्तारी वारंट वायरल हुआ। दूसरी घटना दिसंबर 2023 की है, जिसमें ‘स्टेट बनाम संकेत सुरेश सताम’ के नाम से 2 दिसंबर की तारीख वाला संपत्ति जब्ती आदेश वायरल हुआ। इन दोनों मामलों में जज को गलत तरीके से दिल्ली जिला अदालत का ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास बताया गया। प्राथमिकी में कहा गया है कि जज ने ऐसे कोई आदेश जारी नहीं किए और दस्तावेजों पर उनके फर्जी हस्ताक्षर हैं। यह शिकायत उनके सीनियर ज्युडीशियल असिस्टेंट (एसजेए) के जरिए दी गई। इन आदेशों में गिरफ्तारी वारंट और संपत्ति जब्ती जैसे गंभीर निर्देश शामिल हैं। जिला जज ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि उन शिकायत के आधार पर नई दिल्ली साइबर पुलिस स्टेशन में 23 अप्रैल को केस दर्ज की गई।
फर्जी आदेश वाले मैसेज जज के व्हाट्सएप में मिले थे
दर्ज केस में यह भी बताया गया कि जज को ऐसे ही फर्जी आदेशों वाले मैसेज उनके व्हाट्सएप पर भी मिले हैं और उन्होंने इस बारे में उच्च अधिकारियों को सूचित किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गिरफ्तारी वारंट और संपत्ति जब्ती आदेश दोनों फर्जी हैं और उन्होंने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया है। शिकायत में यह भी कहा गया कि अब उनके पास न तो वे मूल मैसेज हैं और न ही वे कॉन्टैक्ट्स जिनसे ये मैसेज आए थे। जांच और शिकायत की सामग्री के आधार पर बीएनएस की धारा 204 (सरकारी कर्मचारी बनकर धोखा देना), 336 (जालसाजी) और 337 (अदालत के रिकॉर्ड या सार्वजनिक रजिस्टर की जालसाजी) के तहत अपराध बनता है। इसके तहत साइबर पुलिस स्टेशन, नई दिल्ली जिले में केस दर्ज की गई है।