
Kerala HC: केरल हाईकोर्ट ने कहा, पुलिस निगरानी के नाम पर किसी हिस्ट्रीशीटर या संदिग्ध व्यक्ति के घर में रात के समय जबरन घुस नहीं सकती।
कोर्ट ने एक एफआईआर को किया खारिज
यह फैसला जस्टिस वी. जी. अरुण ने उस याचिका पर सुनाया, जिसमें एक व्यक्ति ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि उन्होंने रात में उसके घर आकर दरवाजा खुलवाने की कोशिश की और मना करने पर उसके खिलाफ केस दर्ज कर दिया। कोर्ट ने इस एफआईआर को खारिज कर दिया। अपने फैसले के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि पुलिस दरवाजा खटखटाकर किसी हिस्ट्रीशीटर या संदिग्ध व्यक्ति को बाहर आने को मजबूर कर सकती है। कोर्ट ने इसे व्यक्ति की गरिमा और निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया।
घर सिर्फ एक मकान नहीं, यह सम्मान और निजता का प्रतीक: कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि ‘घर’ केवल एक भौतिक ढांचा नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति की भावनात्मक, सामाजिक और अस्तित्व से जुड़ी पहचान है। हर व्यक्ति का घर उसका किला या मंदिर होता है, जिसकी पवित्रता को रात के अजीब समय में दरवाजा खटखटाकर भंग नहीं किया जा सकता। सम्मान के साथ जीने का अधिकार जीवन के अधिकार का हिस्सा है और यह समझौता नहीं किया जा सकता।
केरल पुलिस मैनुअल में भी रात में घर जाकर निगरानी की अनुमति नहीं
कोर्ट ने कहा कि केरल पुलिस मैनुअल के अनुसार हिस्ट्रीशीटर पर केवल ‘अनौपचारिक निगरानी’ और ‘करीबी नजर’ रखने की अनुमति है। इसमें कहीं भी रात में घर जाकर निगरानी करने की बात नहीं है।
रात में दरवाजा खटखटाना ‘कानूनी निर्देश’ नहीं माना जा सकता
कोर्ट ने कहा कि केरल पुलिस एक्ट की धारा 39 के तहत लोग केवल ‘कानूनी निर्देशों’ का पालन करने के लिए बाध्य हैं। लेकिन रात के समय हिस्ट्रीशीटर के घर का दरवाजा खटखटाना और उसे बाहर आने को कहना किसी भी तरह से ‘कानूनी निर्देश’ नहीं कहा जा सकता।
पुलिस अधिकारी को धमकाने का केस नहीं बनता
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पर पुलिस अधिकारी को धमकाने का जो केस दर्ज किया गया है, वह गलत है। अगर उसने पुलिस से बहस की या अपशब्द कहे, तो उस पर कोई और आरोप लग सकता है, लेकिन मौजूदा आरोप नहीं।
याचिकाकर्ता ने कहा- पुलिस ने मुझे फंसाया
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि हाईकोर्ट ने पुलिस उत्पीड़न की मेरी शिकायत पर जांच के आदेश दिए थे। इसी से ध्यान भटकाने के लिए पुलिस ने मेरे खिलाफ यह केस दर्ज किया।
पुलिस का दावा- हम सिर्फ चेकिंग के लिए गए थे
पुलिस ने कहा कि रात में हिस्ट्रीशीटर की चेकिंग के दौरान वे यह देखने गए थे कि याचिकाकर्ता घर पर है या नहीं। जब दरवाजा खोलने को कहा गया तो उसने मना कर दिया और गाली-गलौज की। कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए एफआईआर और आगे की कार्रवाई को रद्द कर दिया।