
Debris near Judge's residence, New Delhi... Courtesy Agency
Judge’s Row-4: दिल्ली हाईकोर्ट की जांच रिपोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड वीडियो ने दिल्ली अग्निशमन सेवा(डीएफएस) के इस दावे पर संदेह पैदा कर दिया है।
21 मार्च को डीएफएस प्रमुख ने किया था नोट जलने से इनकार
डीएफएस प्रमुख अतुल गर्ग ने 21 मार्च को समाचार एजेंसियों को बताया था कि 14 मार्च को आग लगने की घटना के दौरान अग्निशमन कर्मियों को न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से कोई नकदी नहीं मिली थी। उन्होंने 21 मार्च को समाचार एजेंसी और दो इलेक्ट्रॉनिक समाचार चैनलों को बताया था कि आग बुझाने के तुरंत बाद, हमने पुलिस को आग की घटना के बारे में सूचित किया। इसके बाद, अग्निशमन विभाग के कर्मियों की एक टीम मौके से चली गई। हमारे अग्निशमन कर्मियों को अग्निशमन अभियान के दौरान कोई नकदी नहीं मिली।
पुलिस आयुक्त ने खोले जले नोट के राज, शेयर किया वीडियो
पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय के साथ साझा किए गए इस वीडियो को शनिवार रात 25 पन्नों की रिपोर्ट के हिस्से के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के अग्निशमन कर्मी उन वस्तुओं पर लगी आग बुझाते हुए दिखाई दे रहे हैं जिनमें जाहिर तौर पर आधे जले हुए भारतीय नोट भी शामिल थे।
आग की सूचना सबसे पहले कंट्रोल रूम को दी गई: जांच रिपोर्ट
डीएफएस प्रमुख ने यह भी कहा था कि 14 मार्च को रात 11:35 बजे जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने की सूचना कंट्रोल रूम को मिली थी और दो दमकल गाड़ियों को मौके पर भेजा गया था। हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की जांच रिपोर्ट में भी इसका खंडन किया गया है। जस्टिस उपाध्याय की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस प्रमुख ने 16 मार्च को उन्हें बताया कि जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने जज के आवास पर आग लगने की घटना की सूचना देने के लिए सबसे पहले पुलिस कंट्रोल रूम को फोन किया था और डीएफएस को अलग से सूचना नहीं दी गई थी।
पीसीआर से संपर्क के बाद स्वचालित सूचना डीएफएस को दी…
जस्टिस उपाध्याय ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना को सौंपी अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा है, यह भी बताया गया है कि फायर सर्विस को अलग से सूचना नहीं दी गई थी, हालांकि पीसीआर से संपर्क किए जाने के बाद आग से संबंधित सूचना स्वचालित रूप से दिल्ली फायर सर्विस को भेज दी गई थी।
22 मार्च को तीन सदस्यीय कमेटी सुप्रीम कोर्ट ने गठित की….
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों पर ध्यान दिया, जिनके आवास से आग की घटना के दौरान कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी। इसमें कथित तौर पर उनका स्थानांतरण इलाहाबाद उच्च न्यायालय में करने की भी मांग की गई थी। सीजेआई खन्ना ने शनिवार को न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ इन-हाउस जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की और निर्देश दिया कि उन्हें कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए। बताया जाता है कि न्यायमूर्ति उपाध्याय ने 20 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय के कॉलेजियम की बैठक से पहले ही जांच शुरू कर दी थी।
शीर्ष अदालत की जांच के बाद कॉलेजियम लेगा फैसला…
शीर्ष अदालत ने कहा था कि न्यायमूर्ति वर्मा के तबादले के प्रस्ताव की जांच 20 मार्च को सीजेआई और चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाले शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने की थी और उसके बाद न्यायमूर्ति वर्मा के अलावा शीर्ष अदालत के सलाहकार न्यायाधीशों और संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र भेजे गए थे। अदालत ने कहा था, प्राप्त प्रतिक्रियाओं की जांच की जाएगी और उसके बाद कॉलेजियम एक प्रस्ताव पारित करेगा।
यह है न्यायमूर्ति वर्मा का प्रोफाइल…
न्यायमूर्ति वर्मा को 8 अगस्त 1992 को अधिवक्ता के रूप में नामांकित किया गया था। उन्हें 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। 11 अक्टूबर 2021 को दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने से पहले उन्होंने 1 फरवरी 2016 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। वह वर्तमान में बिक्री कर, माल और सेवा कर (जीएसटी), कंपनी अपील और मूल पक्ष की अन्य अपीलों से निपटने वाली एक खंडपीठ का नेतृत्व करते हैं। संवैधानिक न्यायालयों के न्यायाधीशों के खिलाफ आरोपों से निपटने के लिए शीर्ष अदालत में एक आंतरिक जांच तंत्र है।