
In-House Committee Inspect Judge's Residence, New Delhi
Judge’s Row-10: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के अधिकारिक आवास पर कथित तौर पर अर्ध जली नकदी की बरामदगी में केस दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।
तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की मांग
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ से अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेडुमपारा ने अनुरोध किया कि यह व्यापक जनहित से जुड़ा हुआ मामला है। इस कारण, दिल्ली पुलिस को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से कथित रूप से अर्ध-जली नकदी की बरामदगी के मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।
याचिका पर सुनवाई होगी, सार्वजनिक बयान नहीं दें: शीर्ष कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश, जिन्होंने मामलों की मौखिक रूप से तत्काल सूचीबद्ध करने की प्रथा को समाप्त कर दिया है, ने कहा कि याचिका पर सुनवाई होगी। अधिवक्ता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने सराहनीय कार्य किया है, लेकिन इस मामले में एफआईआर दर्ज किया जाना आवश्यक है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, सार्वजनिक बयान न दें। मामले में सह-याचिकाकर्ता एक महिला ने कहा कि यदि ऐसा मामला किसी आम नागरिक के खिलाफ होता, तो सीबीआई और ईडी जैसी कई जांच एजेंसियां उस व्यक्ति के पीछे पड़ गई होतीं। मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया, यह पर्याप्त है। याचिका पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
14 मार्च को आगजनी में जले थे नोट
शीर्ष अदालत में नेडुमपारा और तीन अन्य व्यक्तियों की दायर याचिका पर 26 मार्च को सुनवाई हो रही थी। याचिका में 1991 के के. वीरास्वामी मामले में दिए गए फैसले को भी चुनौती दी गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि उच्च न्यायालय या शीर्ष न्यायालय के किसी न्यायाधीश के खिलाफ भारत के मुख्य न्यायाधीश की पूर्व अनुमति के बिना कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती। कहा गया कि कथित नकदी बरामदगी की घटना 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद हुई, जिससे दमकल अधिकारियों को मौके पर पहुंचना पड़ा।
तीन सदस्यीय इन-हाउस समिति कर रही जांच
आगजनी में मिले अर्ध जले नोट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय इन-हाउस समिति का गठन किया था। इन सदस्यों ने न्यायमूर्ति वर्मा के आवास का दौरा किया और इस मामले की जांच शुरू की। इस विवाद के बीच, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल न्यायालय, इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की सिफारिश की। इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर उन्हें सुनवाई से अलग कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो सार्वजनिक किए थे
22 मार्च को, मुख्य न्यायाधीश ने आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का निर्णय लिया। इस रिपोर्ट में कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने की तस्वीरें और वीडियो शामिल थे। न्यायमूर्ति वर्मा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा कभी भी स्टोररूम में नकदी नहीं रखी गई थी।