
Bar Council Of India Office, New Delhi
Waqf Bill: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने वक़्फ संशोधन विधेयक की सराहना की। कहा- यह एक ऐतिहासिक कदम, समुदाय की भलाई की ओर है।
विधेयक वक़्फ संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करेगा
बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने वक़्फ संशोधन विधेयक की प्रबल सराहना करते हुए कहा है कि यह विधेयक पूर्ववर्ती कानूनों में लंबे समय से चली आ रही कमियों को दूर करने की दिशा में एक अहम कदम है। BCI ने कहा कि यह विधेयक वक़्फ संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करेगा, जिससे वे अपने मूल उद्देश्य समुदाय की भलाई को पूरा कर सकेंगी। साथ ही यह सांप्रदायिक सौहार्द, सतत सामाजिक-आर्थिक विकास और ऐतिहासिक रूप से वंचित समूहों के लिए न्याय सुनिश्चित करेगा। BCI के अनुसार, वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक एक ऐसा प्रभावशाली कानून है जो वक़्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी, जवाबदेह और कुशल बनाकर समुदाय के हितों की रक्षा करेगा और लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का समाधान प्रदान करेगा।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ने विधेयक का पुरजोर समर्थन किया
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने इस विधेयक का पुरजोर समर्थन किया। उन्होंने इसे वक़्फ संपत्तियों के प्रबंधन में भ्रष्टाचार को समाप्त करने, जवाबदेही बढ़ाने और पूर्व की अक्षमताओं को सुधारने के लिए अत्यंत आवश्यक बताया। राज्यसभा द्वारा 4 मार्च 2025 को पारित किए गए वक़्फ (संशोधन) विधेयक को एक ऐतिहासिक विधायी उपलब्धि बताया गया है, जो वक़्फ़ संपत्तियों के पारदर्शी और प्रभावी प्रबंधन की दिशा में एक परिवर्तनकारी बदलाव है।
विधेयक प्रशासनिक दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देगा: मिश्रा
मिश्रा ने बताया कि पूर्ववर्ती कानून में अनेक खामियां थीं, जिनसे व्यापक कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला, जिसका असर मुस्लिम समुदाय के हाशिए पर खड़े वर्गों पर पड़ा। 1995 के वक़्फ अधिनियम का नाम बदलकर अब इसे एकीकृत वक़्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम किया गया है। यह विधेयक प्रशासनिक दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है।
संवैधानिक प्रावधानों और ऐतिहासिक अन्यायों पर स्पष्टीकरण
मिश्रा ने स्पष्ट किया कि संविधान का अनुच्छेद 26 धार्मिक मामलों के प्रबंधन का अधिकार देता है, लेकिन यह सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य जैसे कारणों से राज्य के नियमन के अधीन है। उन्होंने यह भी कहा कि लिमिटेशन एक्ट के प्रावधान असीमित मुकदमों पर रोक लगाकर न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ और निश्चित बनाते हैं। उन्होंने कहा कि पुराने कानूनों के चलते वक़्फ़ संपत्तियों का दुरुपयोग हुआ, जिससे पासमांदा मुस्लिम समुदाय जैसे हाशिए पर खड़े वर्गों को सबसे अधिक नुकसान हुआ।
यह रही विधेयक की प्रमुख विशेषताएं
- धारा 1 – अधिनियम का नया नाम: यह नया नाम कानून के विकसित उद्देश्य को दर्शाता है – सशक्तिकरण, दक्षता और समग्र विकास।
- धारा 3 – परिभाषाओं में संशोधन: इसमें अगाखानी और बोहरा जैसे संप्रदायों को अलग वक़्फ़ श्रेणी के रूप में मान्यता दी गई है, जिससे विविध धार्मिक प्रथाओं को मान्यता और समावेश मिला है।
- धारा 3A – वैध स्वामित्व की अनिवार्यता: किसी संपत्ति को वक़्फ़ घोषित करने के लिए वैध स्वामित्व आवश्यक होगा, जिससे फर्जी दावों पर रोक लगेगी।
- धारा 3B – केंद्रीकृत डिजिटल रजिस्ट्रेशन: सभी वक़्फ़ विवरणों का डिजिटल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है, जिससे पारदर्शिता और सार्वजनिक निगरानी सुनिश्चित होगी।
- धारा 3C – ग़लत घोषणाओं पर नियंत्रण: इससे सरकारी संपत्तियों को वक़्फ़ घोषित करने से रोक लगेगी और अनावश्यक विवादों में कमी आएगी।
- धारा 5 – सर्वे की ज़िम्मेदारी कलेक्टर को: इससे सर्वेक्षण अधिक कुशल, समयबद्ध और सटीक होगा।
- धारा 6 – वक़्फ़ सूची का प्रकाशन: केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर वक़्फ़ सूची प्रकाशित की जाएगी जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
- धारा 7 – ट्राइब्यूनल और उच्च न्यायालय में अपील: इससे वक़्फ़ विवादों में न्यायिक निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
- धारा 8 – वर्गीकरण विवादों का समाधान: इससे धार्मिक संप्रदायों के वर्गीकरण से जुड़े विवादों को निष्पक्ष समाधान मिलेगा।
- धाराएँ 9 और 14 – केन्द्रीय और राज्य वक़्फ़ परिषदों में विस्तारित प्रतिनिधित्व: इसमें महिलाओं, गैर-मुसलमानों और संप्रदाय विशेष के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।
- धारा 10 – संप्रदाय विशेष के लिए अलग बोर्ड: बोहरा और अगाखानी समुदायों के लिए अलग बोर्ड की स्थापना की जाएगी।
- धारा 40 (पुराना अधिनियम) को हटाना: यह खंड वक़्फ़ बोर्ड को असीमित शक्ति देता था, जिसे हटाकर पारदर्शिता सुनिश्चित की गई है।