
Himachal Pradesh High Court
Widow’s remarriage: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा, अगर किसी शहीद जवान की विधवा पत्नी दोबारा शादी कर लेती है, तो उसके माता-पिता फैमिली पेंशन के हकदार हो जाते हैं।
83 साल की शंकरी देवी के पक्ष में हुई सुनवाई
कोर्ट ने यह फैसला 83 साल की शंकरी देवी के पक्ष में सुनाया, जिनके बेटे लेख राम की मौत के बाद उन्हें पेंशन नहीं दी गई थी। न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की एकल पीठ ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह शंकरी देवी को फैमिली पेंशन दे। साथ ही बीएसएफ की पे एंड अकाउंट्स डिवीजन द्वारा जारी उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें शंकरी देवी को पेंशन के लिए अयोग्य बताया गया था। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों के नियम 50 के उपखंड 10 के तहत शंकरी देवी की पेंशन की मांग पर विचार करना होगा। इस नियम के अनुसार, विधवा के पुनर्विवाह के बाद माता-पिता पेंशन के पात्र हो जाते हैं।
बेटे की मौत के बाद बहू ने दोबारा शादी की
शंकरी देवी ने कोर्ट को बताया कि उनका बेटा लेख राम 1979 में बीएसएफ में भर्ती हुआ था और 1985 में सुरक्षा देवी से शादी की थी। लेकिन शादी के सिर्फ 10 दिन बाद ही लेख राम की रहस्यमयी हालात में मौत हो गई। इसके बाद सुरक्षा देवी को फैमिली पेंशन दी गई। दिसंबर 1990 में सुरक्षा देवी ने दोबारा शादी कर ली और विभाग को लिखित में सूचित किया कि वह अब पेंशन नहीं ले रही है। इसके बाद शंकरी देवी और उनके पति सीता राम (जिनका केस के दौरान निधन हो गया) ने पेंशन के लिए आवेदन किया, लेकिन उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि मृत सरकारी कर्मचारी के माता-पिता पेंशन के पात्र नहीं होते। कोर्ट ने इसे गलत बताया और कहा कि शंकरी देवी को नियमों के अनुसार पेंशन मिलनी चाहिए थी।
तीन साल की बकाया पेंशन भी मिलेगी
कोर्ट ने कहा कि शंकरी देवी पिछले कई सालों से अपने हक के लिए लड़ रही हैं और अब उनकी उम्र 83 साल हो चुकी है, इसलिए केंद्र सरकार को छह हफ्तों के भीतर जरूरी कार्रवाई करनी चाहिए।कोर्ट ने यह भी कहा कि शंकरी देवी को याचिका दायर करने से तीन साल पहले तक की बकाया पेंशन भी दी जाए। सरकार को छह हफ्ते में कार्रवाई कर तीन हफ्ते में रिपोर्ट देनी होगी।