
High Court News: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, “डमी’ स्कूल छात्रों को केवल कोचिंग कक्षाओं में भाग लेने के लिए कह देते हैं। इन छात्रों को बाद में फर्जी सूचना के आधार पर वार्षिक परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाती है। जो कतई बरदाश्त नहीं होगा।
जनहित याचिका पर सुनवाई में उठा डमी स्कूल का मुद्दा
सोमवार को जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार और सीबीएसई को ऐसे “डमी’ स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया, जो कथित तौर पर छात्रों को कक्षाओं में बिना उपस्थित हुए परीक्षा देने की सुविधा देते हैं। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने इसे धोखाधड़ी करार दिया है।
स्कूल के बजाय छात्र कोचिंग में समय बिताते हैं: अदालत
अदालत ने कहा, यह देखा गया है कि स्कूलों की कक्षाओं में छात्र भाग नहीं लेते हैं, बल्कि कोचिंग सेंटरों में समय बिताते हैं। हालांकि उन्हें शिक्षा बोर्डों द्वारा परीक्षा देने की अनुमति दी जाती है, जहां उन्हें अपेक्षित न्यूनतम उपस्थिति दर्ज करनी होती है। इस कारण राज्य सरकार और सीबीएसई इस संबंध में निरीक्षण करे। पीठ ने ऐसे स्कूलों पर ध्यान दिया, जिनका इस्तेमाल अन्य राज्यों के छात्रों को दिल्ली के स्थायी निवासी का लाभ देने के लिए किया जा रहा है। दिल्ली सरकार और सीबीएसई से ऐसे स्कूलों के खिलाफ की गई कार्रवाई करने का हलफनामा मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई मई में होगी।
डमी स्कूल की कोई अवधारणा नहीं है: दिल्ली सरकार
सुनवाई के दौरान, दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि “डमी’ स्कूल की कोई अवधारणा नहीं है और फर्जी दाखिले के मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है और इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्कूलों को अपने संबद्धता नियमों का पालन करना अनिवार्य है। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों के पास किसी भी डमी स्कूल के बारे में कोई शिकायत नहीं है। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि कोचिंग सेंटरों द्वारा ऐसे स्कूलों का उपयोग राजस्थान के कोटा में पढ़ने वाले छात्रों पर आधारित एक वेब-सीरीज में भी दिखाया गया था। अदालत ने कहा, ऐसा लगता है कि आपके विभाग ने इसे नहीं देखा है।
300 से अधिक “डमी’ स्कूलों पर कार्रवाई की: सीबीएसई
सीबीएसई के वकील ने कहा कि देश भर में 300 से अधिक “डमी’ स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की गई। अदालत ने दिल्ली सरकार के वकील से कथित फर्जी दाखिलों पर भी राज्य शिक्षा विभाग द्वारा की गई कार्रवाई पर सवाल उठाया। यह टिप्पणी करते हुए कि अधिकारी ऐसे स्कूलों को कुछ भी कह सकते हैं। वकील ने कहा कि दो मामलों में कार्रवाई शुरू की गई थी।
दिल्ली सरकार और सीबीएसई सर्वेक्षण रिपोर्ट साझा करें: अदालत
अदालत ने कहा, दिल्ली सरकार और सीबीएसई के वकील से अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने का आह्वान करते हैं, जिसमें डमी स्कूलों के संबंध में कोई जानकारी प्राप्त होने पर की गई कार्रवाई का विवरण दिया गया हो। आगे कहा, शिक्षा विभाग एक सर्वेक्षण करें और यदि आवश्यक हो तो औचक निरीक्षण करे, ताकि आवश्यक जानकारी एकत्र कर इसे सीबीएसई के साथ साझा किया जा सके। सीबीएसई भी जानकारी एकत्र करेगी और इसे राज्य सरकार के साथ साझा करेगी। एक बार ऐसी जानकारी प्राप्त होता है, तो ऐसे स्कूलों के प्रबंधन के खिलाफ कानून में स्वीकार्य आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
यह जनहित याचिका में कया गया दावा
जनहित याचिका में याचिकाकर्ता राजीव अग्रवाल ने डीएसक्यू के तहत एमबीबीएस या बीडीएस सीटें देने के लिए डीयू और गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय द्वारा लागू पात्रता मानदंड को चुनौती दी थी। उन्होंने दावा किया कि “डमी’ स्कूल छात्रों को एक आभासी मंच प्रदान करते हैं। कहते हैं कि वे 10 वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वह दिल्ली आ गए थे। यह किसी तरह से दिल्ली राज्य के कोटा सीटों का लाभ उठाने के उद्देश्य से किया जाता है। ऐसे में दिल्ली के वास्तविक निवासी को आवंटित होनेवाले काेटा का लाभ ऐसे बाहरी छात्र उठा लेते हैं।