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NIA court: विशेष एनआईए अदालत में लगभग 17 वर्षों बाद, महाराष्ट्र के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मालेगांव शहर में हुए विस्फोट मामले की सुनवाई पूरी हुई।
8 मई को फैसला सुनाने के लिए सुनवाई स्थगित
विशेष एनआईए अदालत ने इस मामले में 8 मई को फैसला सुनाने के लिए सुनवाई स्थगित कर दी है। इस केस की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अदालत से आरोपियों को उपयुक्त सजा देने की मांग की है। आरोपियों में पूर्व सांसद और बीजेपी नेता प्रज्ञा ठाकुर भी शामिल हैं। अभियोजन पक्ष ने अपनी अंतिम लिखित दलीलें पेश कीं, जिससे विशेष न्यायाधीश ए. के. लाहोटी की अध्यक्षता में यह ट्रायल समाप्त हो गया। इस केस के आरोपी पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा चल रहा है।
अभियोजन पक्ष का दावा
अभियोजन के अनुसार, मालेगांव, जहां काफी बड़ी मुस्लिम आबादी है, में हुआ धमाका मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग में आतंक फैलाने, जन सेवाएं बाधित करने, सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न करने, और राज्य की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से किया गया था। यह विस्फोट 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में एक मस्जिद के पास हुआ था, जब एक मोटरसाइकिल में लगाए गए विस्फोटक उपकरण में धमाका हुआ। इस घटना में 6 लोगों की मौत हुई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए। यह स्थान मुंबई से लगभग 200 किमी दूर है।
मालेगांव केस में ये हैं आरोपी
- प्रज्ञा ठाकुर
- लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित
- मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय
- अजय राहिरकर
- सुधाकर द्विवेदी
- सुधाकर चतुर्वेदी
- समीर कुलकर्णी
एनआईए की अंतिम दलील
एनआईए ने कहा कि उसने “प्रासंगिक, स्वीकार्य, विश्वसनीय और सिद्ध साक्ष्य” के आधार पर यह “स्पष्ट रूप से स्थापित किया है” कि आरोपी एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे और बम विस्फोट को अंजाम देने में सक्रिय भूमिका निभाई। यह धमाका पवित्र रमज़ान के महीने में और नवरात्रि त्योहार से ठीक पहले किया गया, जिससे यह साबित होता है कि आरोपियों का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय में आतंक फैलाना था। अभियोजन पक्ष ने कहा, यह कार्य “हिंदू राष्ट्र (आर्यव्रत) की स्थापना” की उनकी बड़ी साजिश का हिस्सा था।अदालत से अनुरोध किया गया कि आरोपियों को गंभीर आतंकवादी अपराधों के लिए दोषी ठहराया जाए और उन्हें उचित सजा दी जाए।
मुकदमे के दौरान क्या-क्या हुआ
323 गवाह पेश किए गए। इसमें 34 गवाह मुकर(hostile) गए। इस मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने की थी, जिसे बाद में 2011 में एनआईए को सौंपा गया। 2016 में दाखिल चार्जशीट में एनआईए ने प्रज्ञा ठाकुर और तीन अन्य आरोपियों — श्याम साहू, प्रवीण टकाळकी और शिवनारायण कालसांगरा को क्लीन चिट दी थी। हालांकि अदालत ने केवल साहू, कालसांगरा और टकाळकी को आरोपमुक्त किया, लेकिन प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ मुकदमा जारी रखने का आदेश दिया।
मालेगांव विस्फोट में आरोपों की प्रकृति
30 अक्टूबर, 2018 को आरोपियों पर जिन धाराओं के तहत आरोप तय किए गए, उनमें शामिल हैं: UAPA की धारा 16 (आतंकी कृत्य करना), UAPA की धारा 18 (आतंकी कृत्य की साजिश रचना), IPC की धारा 120 (B) (आपराधिक साजिश), IPC की धारा 302 (हत्या), IPC की धारा 307 (हत्या का प्रयास), IPC की धारा 324 (जानबूझकर चोट पहुंचाना), IPC की धारा 153 (A) (धर्म के आधार पर द्वेष फैलाना) और अन्य धाराए हैं।