
Burn Bogie of Train near Godhra Station
Gujarat News: गोधरा ट्रेन अग्निकांड के दो दशक से अधिक समय बाद, गुजरात के पंचमहल जिले की जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB) ने उस समय नाबालिग रहे तीन व्यक्तियों को तीन साल के लिए बाल सुधार गृह भेजने की सजा सुनाई।
साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे में आग लगाने की घटना में आरोपी संलिप्त
जेजे बोर्ड ने यह सजा साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे में आग लगाने की घटना में उनकी संलिप्तता के लिए दी गई, जिसने राज्य में सांप्रदायिक दंगों की चिंगारी भड़काई थी। गोधरा में जेजेबी के अध्यक्ष के.एस. मोदी ने अब बालिग हो चुके तीनों को तीन वर्षों के लिए सुधार गृह भेजने और प्रत्येक पर ₹10,000 का जुर्माना भी लगाया। इस मामले में आरोपित दो अन्य नाबालिगों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया।
जेजेबी ने दोषियों को 30 दिनों के लिए सजा स्थगित भी की है
जेजेबी ने दोषियों को 30 दिनों के लिए सजा स्थगित भी की है ताकि वे उच्च न्यायालय में अपील कर सकें। उनके वकील सलमान चरखा ने यह जानकारी दी। अभियोजन के अनुसार, ये तीनों आरोपी उस भीड़ का हिस्सा थे जिसने एक साजिश के तहत अयोध्या से लौट रही साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच पर पत्थर फेंके और उसमें आग लगा दी। इन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था, जिनमें हत्या, आपराधिक साजिश, हत्या का प्रयास, जानबूझकर चोट पहुंचाना आदि शामिल हैं। बाकी दो नाबालिगों को पर्याप्त सबूत न होने के कारण बरी कर दिया गया।
यह रही घटना की पृष्ठभूमि
27 फरवरी, 2002 को, गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 कोच में आग लगा दी गई, जिसमें 59 कारसेवकों की मौत हो गई। ये सभी अयोध्या से लौट रहे थे। इस भयावह घटना के बाद गुजरात में भीषण सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिनमें 1,000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय से थे। इस मामले में छह नाबालिगों के खिलाफ अलग-अलग आरोप पत्र दाखिल किए गए, जिन्हें बाद में एक साथ जोड़ा गया और संयुक्त रूप से सुना गया। वकील चरखा के अनुसार, छह आरोपियों में से एक की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई।
यह रही अहम तिथियां
- वर्ष 2011 में गोधरा की एक अदालत ने इस मामले में 31 आरोपियों को दोषी ठहराया और 63 को बरी कर दिया। इनमें से 11 को मृत्युदंड और 20 को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।
- बाद में गुजरात हाईकोर्ट ने 31 दोषियों की सजा को बरकरार रखा, लेकिन 11 की मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।
- सुप्रीम कोर्ट में गुजरात हाईकोर्ट के अक्टूबर 2017 के फैसले के खिलाफ कई अपीलें दाखिल की गई हैं, जहां राज्य सरकार ने मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने के फैसले को चुनौती दी है, वहीं कई दोषियों ने अपनी सजा के खिलाफ अपील की है।