
Rape victim
Gang Rape Case; सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सामूहिक दुष्कर्म (गैंगरेप) के दोषियों की सजा बरकरार रखी है।
आईपीसी की धारा 376(2)(जी) की व्याख्या
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(जी) की व्याख्या करते हुए कहा, अगर किसी एक आरोपी ने भी दुष्कर्म किया और यह साबित हो जाए कि बाकी आरोपियों की भी ऐसी मंशा थी, तो सभी पर सामूहिक दुष्कर्म की धारा लागू होगी। पीठ ने अशोक कुमार बनाम हरियाणा (2003) के फैसले का हवाला देते हुए कहा, ‘गैंगरेप के मामले में यदि एक आरोपी ने भी दुष्कर्म किया हो, और अन्य ने उस मंशा से साथ दिया हो, तो सभी दोषी होंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि सामूहिक दुष्कर्म की मंशा साझा थी और किसी एक व्यक्ति ने भी दुष्कर्म किया, तो बाकी सभी भी दुष्कर्म के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं, भले ही बाकी लोगों ने दुष्कर्म न किया हो।
सजा से बचने के लिए दिए आरोपियों के तर्क खारिज…
हरियाणा के इस मामले में अभियुक्तों ने एक युवती का अपहरण करके उसे बंदी बनाकर रखा। इसके बाद उससे सामूहिक दुष्कर्म किया। सह–अभियुक्तों कहा कि उन्होंने दुष्कर्म नहीं किया इसलिए उन पर दुष्कर्म का आरोप नहीं लग सकता। हालांकि ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों ने सभी को सामूहिक दुष्कर्म का का दोषी करार दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालतों के फैसले को सही ठहराते हुए कहा, अभियोजन पक्ष ने यह साबित किया कि अभियुक्तों ने मुख्य आरोपी जलंधर कोल के साथ मिलकर एक साझा मंशा से यह अपराध किया।