
Discuss with Wife of Marraige Dispute
Matrimonial Dispute: सुप्रीम कोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद में उलझे दंपति को फटकार लगाते हुए कहा कि वे “महाराजा” की तरह व्यवहार न करें, क्योंकि देश में पिछले 75 वर्षों से लोकतंत्र स्थापित है।
वे दिन में अपने-अपने मुवक्किलों से बात करें
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने पति और पत्नी दोनों के वकीलों से कहा कि वे दिन में अपने-अपने मुवक्किलों से बात करें और अदालत को उनके इरादों से अवगत कराएं। साथ ही, अदालत ने इस मामले को अहंकार की टकराहट करार दिया। यह टिप्पणी उस दंपति के एक पक्ष को संबोधित थी, जो कथित रूप से एक शाही परिवार से ताल्लुक रखता है। पीठ ने कहा, कैसे-कैसे बयान दिए जा रहे हैं कि मध्यस्थता विफल रही? महाराजा या राजा की तरह व्यवहार मत कीजिए। लोकतंत्र के 75 साल बीत चुके हैं। साथ ही चेतावनी दी कि यदि आपसी सहमति से समाधान नहीं निकला तो अदालत तीन दिन के भीतर “कड़ा” आदेश पारित करने से पीछे नहीं हटेगी।
ग्वालियर की महिला ने किया दावा
महिला, जो ग्वालियर में रहती हैं, का दावा है कि वे एक अत्यंत प्रतिष्ठित परिवार से हैं, जिनके पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना में एडमिरल थे और जिन्हें कोंकण क्षेत्र का शासक घोषित किया गया था। वहीं, पति सेना अधिकारियों के परिवार से हैं और मध्य प्रदेश में एक शैक्षणिक संस्थान चलाते हैं। इस विवाद की जड़ एक 1951 मॉडल की एंटीक, हाथ से बनी क्लासिक रोल्स रॉयस कार है, जो आज भी अपनी तरह की एकमात्र कार है। यह कार देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा बड़ौदा की तत्कालीन महारानी के लिए मंगवाई गई थी और वर्तमान में इसकी कीमत ढाई करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है। दोनों पक्षों के वकीलों ने अदालत को सूचित किया कि विवाद मुख्यतः पैसों को लेकर है।
वरिष्ठ अधिवक्ता को विवाद के समाधान के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया था
22 अप्रैल को वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बसंत, जिन्हें अदालत ने दंपति के विवाद के समाधान के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया था, ने अदालत को सूचित किया था कि कोई सौहार्दपूर्ण समाधान नहीं निकल पाया। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि एक अंतिम प्रयास और किया जाए। महिला ने आरोप लगाया है कि अलग रह रहे पति और उसके परिवार ने रोल्स रॉयस कार और मुंबई में फ्लैट के रूप में दहेज की मांग को लेकर उनका उत्पीड़न किया। पति ने इन आरोपों से इनकार किया है। पति ने पत्नी, उसके माता-पिता और रिश्तेदारों के खिलाफ शादी के प्रमाण पत्र की तैयारी में धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज कराया, जबकि महिला ने दहेज उत्पीड़न और क्रूरता की एफआईआर दर्ज कराई। महिला की एफआईआर को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया और उसे “बाद में सोच-समझकर उठाया गया कदम” करार दिया।
मांग पूरी नहीं होने पर विवाह से इनकार करना शुरू किया
महिला की याचिका में कहा गया , जब उत्तरदाताओं की मांगें पूरी नहीं की गईं, तो उन्होंने विवाह से इनकार करना शुरू कर दिया और याचिकाकर्ता (महिला) के खिलाफ झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए उनके चरित्र को बदनाम करना शुरू कर दिया। 5 दिसंबर, 2023 के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए महिला ने कहा, यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी 1 (पति) और प्रतिवादी 2 (पति के पिता) को याचिकाकर्ता (महिला) के पिता की रोल्स रॉयस कार को लेकर विशेष आकर्षण था, और वे इसे उपहार के रूप में प्राप्त करना चाहते थे। मुंबई के फ्लैट को लेकर भी उनकी अपेक्षाएं थीं, और जब ये दहेज की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो उन्होंने याचिकाकर्ता को उनके ससुराल नहीं ले जाने का निर्णय लिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा
“हम जानते हैं कि केवल अहंकार के कारण समझौता नहीं हो पाया है। यदि विवाद पैसों को लेकर है तो उसे अदालत सुलझा सकती है, लेकिन इसके लिए पक्षों को आपसी सहमति बनानी होगी।”