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Delhi News: केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने एक जनवरी की अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस) के साथ उसने भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें कृत्रिम पुनर्भरण, वर्षा जल संचयन, टिकाऊ कृषि प्रथाओं और समुदाय भागीदारी को बढ़ावा देना है।
कई हिस्सों में 2025 तक भूजल उपलब्धता गंभीर
केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में भूजल दोहन 2013 में 127 प्रतिशत से घटकर 2023 में 99 प्रतिशत हो गया है। इससे पहले, एनजीटी संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन के संबंध में एक रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया था। इसमें भविष्यवाणी की गई थी कि देश के कई हिस्सों में 2025 तक गंभीर रूप से कम भूजल उपलब्धता संभव हो सकती है। एनजीटी ने मामले में केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) से भी जवाब मांगा था।
वर्ष 2013 से 2023 तक की रिपोर्ट जारी
वर्ष 2013 से 2023 तक राज्य-वार संसाधन मूल्यांकन रिपोर्टों की तुलना की समीक्षा करने पर यह स्पष्ट है कि अधिकांश राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में भूजल निकासी का प्रतिशत काफी कम हो गया है। रिपोर्ट में कहा कि खासकर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निकासी (एनसीटी) दिल्ली में 127 प्रतिशत से घटकर 99 प्रतिशत हो गया, जो भूजल के विकास में सकारात्मक सुधार दर्शाता है। इसमें कहा गया है कि अन्य स्रोतों से भूजल पुनर्भरण 2013 में 146.42 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) से बढ़कर 2023 में 170.4 बीसीएम हो गया।
भूजल के अवैध खनन को लेकर लगाया जुर्माना
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी तरह, देश में भूजल का कुल दोहन 2013 में 62.7 प्रतिशत था, जो 2023 में घटकर 59 प्रतिशत रह गया। सीजीडब्ल्यूए ने कहा कि उसे 2013 से नवंबर 2024 तक देश भर में भूजल के अवैध खनन में लगे उल्लंघनकर्ताओं से लगभग 41.74 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा मिला। रिपोर्ट के अनुसार, सीजीडब्ल्यूए पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में आर्सेनिक-सुरक्षित और फ्लोराइड-मुक्त कुओं का निर्माण कर रहा था, जो भूजल प्रदूषण से प्रभावित थे।
केंद्रीय भूजल बोर्ड कर रहा निगरानी
यह स्वीकार किया गया है कि कुछ राज्यों में निष्कर्षण की दर सुरक्षित मानदंडों से अधिक है। इस ईमानदारी से आशा की जाती है कि सीजीडब्ल्यूए द्वारा उठाए गए कदम साथ ही राज्यों के साथ समन्वय में भविष्य के लिए प्रस्तावित कार्रवाई, इसे रोकने में मदद करेगी। सीजीडब्ल्यूए की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि छत्तीसगढ़, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में जल स्तर के स्तर में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। कहा गया कि केरल में स्तर 74 प्रतिशत, तमिलनाडु में 72 प्रतिशत, गुजरात में 61 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 59 प्रतिशत बढ़ा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड देश भर में फैले लगभग 27,000 निगरानी कुओं के नेटवर्क के माध्यम से साल में चार बार जनवरी, अप्रैल/मई, अगस्त और नवंबर के दौरान भूजल स्तर की निगरानी कर रहा है। यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ संयुक्त रूप से गतिशील भूजल संसाधनों का भी आकलन कर रहा है।
यह था मामला
संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय-पर्यावरण और मानव सुरक्षा संस्थान (यूएनयू-ईएचएस) द्वारा प्रकाशित इंटरकनेक्टेड डिजास्टर रिस्क रिपोर्ट 2023 नामक एक अध्ययन का हवाला दिया गया था। इसमें कहा गया है कि देश में इंडो-गंगेटिक बेसिन के कुछ क्षेत्र पहले ही भूजल की कमी के चरम बिंदु को पार कर चुके हैं, और इसके पूरे उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में 2025 तक गंभीर रूप से कम भूजल उपलब्धता का अनुभव होने का अनुमान है।