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Delhi News: दिल्ली की एक अदालत ने कहा, यह कानून का एक स्थापित प्रस्ताव है कि, यदि कोई पक्ष कानूनी नोटिस होने के बावजूद उसका जवाब नहीं देता है तो वह नोटिस के कथनों को स्वीकार करने जैसा होता है।
पीड़िता को दीजिए एक लाख रुपये: अदालत
सीनियर सिविल जज ऋचा शर्मा की अदालत ने एक मामले की सुनवाई में नोटिस का कोई जवाब नहीं देने और मामले का विरोध नहीं करने पर बैंक्वेट हॉल चलाने वाली फर्म को 1 लाख रुपये का भुगतान एक महिला को करने का निर्देश दिया है। वर्ष 2022 में पीड़ित महिला बैंक्वेट हॉल की बुकिंग करने के बाद कोविड प्रतिबंधों के कारण उसका उपयोग नहीं कर पाई थी। पीड़िता ने अदालत में उक्त मामले में ब्याज सहित डेढ़ लाख रुपये की वसूली के लिए याचिका दायर की थी।
मुकदमे को लड़ने के समन के बाद भी फर्म मालिक नहीं आया
7 जनवरी के आदेश में, न्यायाधीश ने कहा कि बैंक्वेट हॉल फर्म मालिक वर्तमान मुकदमे को लड़ने के लिए समन की सेवा के बाद भी अदालत में उपस्थित नहीं हुआ। पीड़िता ने फर्म को कानूनी नोटिस भी दिया था, इसमें बकाया राशि की मांग की गई थी। अदालत ने कहा, यह कानूनी नोटिस की डिलीवरी रिकॉर्ड पर रखी गई डाक रसीदों और कानूनी नोटिस की सेवा की ट्रैकिंग रिपोर्ट से साबित होती है।
न तो नोटिस का जवाब दिया, न ही बकाया राशि भुगतान किया
कंपनी ने कानूनी नोटिस का जवाब नहीं दिया और न ही बकाया राशि का भुगतान किया। इससे साबित हुआ कि उसके पास पीड़िता की दलीलों के खिलाफ कोई वैध जवाब नहीं था। कंपनी भी अदालत की कार्यवाही के दौरान अनुपस्थित रही और इसलिए चुघ के कथनों को चुनौती नहीं दी गई।
पीड़िता के दावे पर नहीं दिया जवाब
अदालत ने कहा, चूंकि फर्म मालिक ने नोटिस के बावजूद अदालत में उपस्थित नहीं हुआ, इसलिए, यह माना जाना चाहिए कि फर्म ने पीड़िता के दावे को स्वीकार कर लिया है। उसने पीड़िता के साक्ष्य का खंडन नहीं किया गया है। इस तरह उनका मामला साबित हुआ है। इसने पीड़िता के पक्ष में मुकदमा दायर करने की तारीख से उसकी वसूली तक नौ प्रतिशत ब्याज के साथ एक लाख रुपये का फैसला सुनाया।
जनवरी 2022 में विवाह को लेकर हुई थी बुकिंग
पीड़िता की याचिका में कहा गया है कि उन्होंने जनवरी 2022 में अपनी बेटी के विवाह समारोह के लिए मायापुरी में एक पार्टनरशिप फर्म द्वारा चेक के माध्यम से 1 लाख रुपये का अग्रिम भुगतान करके एक बैंक्वेट हॉल बुक किया था, लेकिन कंपनी ने कोविड-19 के प्रतिबंध के कारण बुकिंग रद्द कर दी थी। जब पीड़िता ने रिफंड का अनुरोध किया, तो फर्म ने साफ इनकार कर दिया।