
Delhi News: एनजीटी ने कहा, दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में सैकड़ों होटल या गेस्ट हाउस स्वैच्छिक प्रकटीकरण योजना(वीडीएस) के नाम पर 10 वर्षों से अधिक समय से अवैध रूप से भू-जल का दोहन कर रहे हैं।
536 होटलों द्वारा भू-जल के अवैध दोहन के मामले की सुनवाई
एनजीटी पहाड़गंज में 536 होटलों द्वारा भू-जल के अवैध दोहन के मामले की सुनवाई कर रही थी। ट्रिब्यूनल ने मुख्य सचिव को तीन महीने के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। 29 जनवरी को एक आदेश में, एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि यह योजना एक प्रकार का घोटाला थी, जिससे राज्य के खजाने को नुकसान होने के अलावा, पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। कथित तौर पर इस योजना में होटलों को बोरवेल चलाने के लिए रियायतें दी गईं।
यह एक प्रकार का घोटाला व सरकारी धन की हानि है…
एनजीटी ने कहा कि, यह पहले व्यक्त की गई हमारी आशंका की पुष्टि करता है कि किसी प्रकार का घोटाला हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप न केवल राजस्व की भारी हानि और सार्वजनिक धन की हानि हुई है, बल्कि पहाड़गंज क्षेत्र में सैकड़ों होटलों, गेस्ट हाउसों द्वारा भू-जल का अवैध, अनियमित दोहन भी हुआ है। इस कारण भू-जल स्तर गिर रहा है और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
ट्रिब्यूनल ने वीडीएस स्कीम को लेकर कही बड़ी बात
ट्रिब्यूनल ने कहा कि सरकार द्वारा वीडीएस स्कीम तैयार नहीं किए जाने के बावजूद तत्कालीन पर्यावरण सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति ने 21 अप्रैल, 2014 को एक बैठक में ट्यूबवेल या बोरवेल के स्वैच्छिक प्रकटीकरण के लिए समाचार पत्रों में एक विज्ञापन जारी करने का निर्णय लिया। ट्रिब्यूनल ने कहा कि बाद में एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया और स्वैच्छिक प्रकटीकरण आवेदन स्वीकार किए गए। कहा गया है कि होटलों या गेस्ट हाउसों द्वारा स्वैच्छिक खुलासे के बाद एक गंभीर मुद्दा पैदा हुआ, क्योंकि निकाले गए पानी की मात्रा को मापने के लिए कोई जल मीटर नहीं लगाया गया था और कोई शुल्क नहीं लगाया गया था।
ट्रिब्यूनल ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी और निर्देश
- पहाड़गंज क्षेत्र में सैकड़ों होटल या गेस्ट हाउस 10 साल से अधिक समय से बिना किसी विनियमन, माप या किसी शुल्क के भुगतान के भूजल खींच रहे हैं।
- एनजीटी ने कहा कि मामले को बदतर बनाने वाली बात यह थी कि अधिकारियों ने वीडीएस योजना की मौजूदगी नहीं होने के नाम पर पानी खींचने की अनुमति दी गई थी।
- एनजीटी ने दिल्ली के मुख्य सचिव को जांच करने और इस तरह की अनियमित निकासी के कारण सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान की सीमा का पता लगाने और पर्यावरण को हुए नुकसान की सीमा का पता लगाने का निर्देश दिया।
- मुख्य सचिव को वीडीएस की मौजूदगी न होने के नाम पर पानी की ऐसी अनियमित निकासी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी तयकरने का भी निर्देश दिया गया था और जिनके कर्तव्य की उपेक्षा के कारण ऐसी अवैधता हुई थी।