
Delhi High Court
Delhi HC: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने से अलग रह रहे पति के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग करनेवाली महिला पर जुर्माना लगाया।
अवमानना याचिका में कोई दम नहीं है
न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति रेनू भटनागर की पीठ ने कहा कि अवमानना याचिका में कोई दम नहीं है और वास्तव में महिला और उनके साथ मौजूद लोग ही पति को उकसा रहे थे। हाई कोर्ट ने याचिका को बेबुनियाद बताते हुए न सिर्फ खारिज किया, बल्कि महिला पर ₹50,000 का जुर्माना अदायगी करने का निर्देश दिया।
याचिका में महिला ने किया था दावा
महिला ने अपनी याचिका में दावा किया था कि अक्टूबर 2023 में ट्रायल कोर्ट ने आदेश दिया था कि पिता बच्चों से मुलाकात के दौरान अपने माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति को साथ नहीं लाएंगे और न ही फोटो या वीडियो बनाएंगे। लेकिन उनके अनुसार, पति ने अनुमति के बिना वीडियो और फोटो लेना शुरू कर दिया। हालांकि, नवंबर 2023 में हाईकोर्ट ने यह अनुमति दी थी कि पति अपने माता-पिता के साथ दीवाली के अवसर पर महिला के कार्यालय में बच्चों से मिल सकते हैं।
पति का उद्देश्य आत्मविश्वास तोड़ना…
महिला का आरोप था कि जब पति मुलाकात के लिए निर्धारित स्थान पर पहुंचा, तो उसने जानबूझकर महिला, उसके परिवार और उसके नियोक्ताओं को परेशान किया। महिला ने आरोप लगाया कि पति का उद्देश्य उसका आत्मविश्वास तोड़ना, उसकी नौकरी छिनवाना और उसे आर्थिक और मानसिक रूप से कमजोर करना था।
वीडियो में स्पष्ट, पति को उकसा रहे थे…
महिला की ओर से बनाए गए वीडियो क्लिप याचिका के साथ संलग्न नहीं थे, इसलिए पीठ ने महिला से कहा कि वह अपने लैपटॉप पर वीडियो दिखाए। पीठ ने कहा, “वीडियो देखने के बाद, हमारा स्पष्ट मत है कि वास्तव में याचिकाकर्ता (महिला) और उनके साथ मौजूद लोग ही पति को उकसा रहे थे कि वह इस तरह की प्रतिक्रिया दें।
पति के माता-पिता ने मजाक न उड़ाने का किया था अनुरोध
पीठ ने 28 मार्च के आदेश में कहा, हमें यह भी पता चला है कि पति अपने माता-पिता, अर्थात् प्रतिवादी संख्या 2 और 3 के साथ आए थे। हमें यह जानकारी भी दी गई कि पति की माता का 12 फरवरी, 2025 को निधन हो चुका है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वीडियो में यह स्पष्ट दिख रहा है कि पति के माता-पिता ने महिला के साथ मौजूद लोगों से यह आग्रह किया कि वे पति का मजाक न उड़ाएं और मुलाकात शांतिपूर्वक होने दें, लेकिन इस अनुरोध का भी मज़ाक उड़ाया गया। अदालत ने आदेश दिया कि ₹50,000 में से ₹25,000 पति को दिए जाएं और बाकी ₹25,000 चार सप्ताह के भीतर दिल्ली हाईकोर्ट अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा किए जाएं।
महिला के कार्यालय में बच्चों से मिलने की अनुमति थी…
महिला ने यह भी कहा था कि दीवाली के दिन उसका कार्यालय उपलब्ध नहीं था, इसलिए उसने अपने दूसरे कार्यालय में एक निजी कॉन्फ्रेंस रूम बुक किया और पति को इसकी जानकारी देकर उससे खर्च वहन करने को कहा। इस पर पीठ ने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने पति को ऐसे किसी खर्च को वहन करने का निर्देश नहीं दिया था। कोर्ट ने कहा, दरअसल, इस न्यायालय ने 9 नवंबर 2023 के अपने आदेश में पति को उनके माता-पिता के साथ महिला के कार्यालय में बच्चों से मिलने की अनुमति दी थी, जिसमें किसी भी प्रकार का खर्च पति द्वारा वहन करने की शर्त नहीं रखी गई थी।