
Courtroom scene inside the Delhi High Court. AI IMAGE
Delhi HC: दिल्ली हाईकोर्ट ने भोजपुरी अश्लीलता शब्द के इस्तेमाल पर वकील को फटकार लगाई।
वकील की याचिका अदालत से खारिज
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को मामले में हनी सिंह के नए गाने मैनियाक के खिलाफ दायर याचिका को सुनने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि यह गाना महिलाओं को यौन वस्तु के रूप में चित्रित करता है और अदालत को निर्देश देना चाहिए कि इसके बोल बदले जाएं।
याचिका में लगाए गए आरोप
याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया कि यह गाना स्पष्ट यौन सामग्री को बढ़ावा देता है। इस गाने में द्विअर्थी भाषा का उपयोग हुआ है और महिलाओं को केवल यौन इच्छाओं की वस्तु के रूप में प्रस्तुत करता है। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील द्वारा भोजपुरी अश्लीलता शब्द के उपयोग पर कड़ी आपत्ति जताई।याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि “मैनियाक” गाना अत्यधिक ध्यान आकर्षित कर रहा है और इसके बोल अभद्र भाषा, महिलाओं की वस्तुकरण (objectification) और अनुचित संदर्भों से भरे हुए हैं, जिससे समाज में असम्मान और लैंगिक भेदभाव की संस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है।
भोजपुरी अश्लीलता कहने पर अदालत ने जताई नाराजगी
मुख्य न्यायाधीश ने वकील को फटकार लगाते हुए कहा, यह भोजपुरी अश्लीलता क्या होती है? अश्लीलता का कोई धर्म या क्षेत्र नहीं होता। यह एक स्वतंत्र शब्द है। कभी भी भोजपुरी अश्लीलता मत कहिए। अगर आप ऐसा कहेंगे, तो कल आप यह भी कह सकते हैं कि दिल्ली अश्लील है। अश्लीलता को क्षेत्र से मत जोड़िए।
मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा, क्या आपने शारदा सिन्हा का नाम सुना है? तब फिर ‘भोजपुरी अश्लीलता’ का क्या मतलब? जब वकील ने तर्क दिया कि गाना इंटरनेट पर तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए, तो अदालत ने कहा कि अगर गाने के बोल से किसी को ठेस पहुंच रही है, तो उसे पुलिस में एफआईआर दर्ज करानी चाहिए।
मामले में कोई रिट जारी नहीं कर सकते…
पीठ ने कहा, हम इस पर कोई रिट जारी नहीं कर सकते। रिट केवल राज्य या सरकारी संस्थानों के खिलाफ जारी की जाती है। यह मामला सार्वजनिक कानून (Public Law) के अंतर्गत नहीं आता, बल्कि निजी कानून (Private Law) से संबंधित है। अगर आपको अश्लीलता से ठेस पहुंची है, तो इसके लिए आपराधिक कानून के तहत शिकायत दर्ज कराइए। जब अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि वह याचिका को खारिज करने के मूड में है, तो याचिकाकर्ता के वकील ने इसे वापस लेने की अनुमति मांगी।