
The Madras High Court
Custody Case: मद्रास उच्च न्यायालय ने पुलिस विभाग से बार-बार आरोपियों के हिरासत में फिसलने और घायल होने के दावों पर सवाल उठाया है।
आरोपी के उचित चिकित्सा उपचार की मांग
न्यायमूर्ति जी.आर. स्वामीनाथन और न्यायमूर्ति वी. लक्ष्मीनारायणन की पीठ कांचीपुरम के इब्राहिम नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपने बेटे ज़ाकिर हुसैन के लिए उचित चिकित्सा उपचार की मांग की थी। ज़ाकिर को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया था और हिरासत के दौरान उसके बाएं पैर और दाहिने हाथ में फ्रैक्चर हो गया था।
जाकिर को चोट लगने के बारे में अदालत में जवाब-तलब
जब अदालत ने पूछा कि ज़ाकिर को ये चोटें कैसे आईं, तो सरकारी वकील ने बताया कि वह शौचालय में फिसल गया था। वकील ने यह भी कहा कि ज़ाकिर का पहले ही इलाज हो चुका है और उसे आगे की देखभाल की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, अदालत ने इस स्पष्टीकरण पर चिंता जताई और तीखी टिप्पणी की। कहा, क्या पुलिस थानों के शौचालय केवल आरोपियों के लिए ही फिसलन भरे होते हैं?
घटनाओं पर रोक लगाने की आवश्यकता: कोर्ट
न्यायाधीशों ने इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने की आवश्यकता जताई और चेतावनी दी कि यदि ऐसे मामले जारी रहे तो जिम्मेदार अधिकारियों की नौकरी जा सकती है। इसके बाद अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि ज़ाकिर को चेन्नई के राजीव गांधी सरकारी अस्पताल में उचित उपचार दिया जाए, और इसके साथ ही मामला बंद कर दिया गया।