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Court News: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीनियर एडवोकेट की नियुक्ति कुछ चुनिंदा लोगों का एकाधिकार नहीं हो सकती।
प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों अभय एस ओका, उज्जवल भुइंया व एसवीएन भट्टी ने कहा, ट्रायल कोर्ट, जिला अदालतों और विशेष ट्राइब्यूनल में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को भी सीनियर एडवोकेट बनाए जाने पर विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट्स को हर साल सीनियर एडवोकेट की नियुक्ति की प्रक्रिया अपनानी चाहिए और यह प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए।
जब हम विविधता की बात करते हैं तो…
कोर्ट ने कहा कि जब हम विविधता की बात करते हैं, तो यह जरूरी है कि हाईकोर्ट्स ऐसा सिस्टम बनाएं, जिससे ट्रायल कोर्ट और ट्राइब्यूनल में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को भी सीनियर एडवोकेट बनने का मौका मिले। इन वकीलों की भूमिका सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों से कम नहीं होती।
जिला जज और ट्राइब्यूनल प्रमुख की राय ली जा सकती है
कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट्स चाहें तो ऐसे वकीलों के बारे में संबंधित जिले के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज या ट्राइब्यूनल के प्रमुख की राय ले सकते हैं। इसके अलावा, जिस जिले के वकील का मामला हो, वहां के गार्जियन या एडमिनिस्ट्रेटिव जज की राय भी उपलब्ध होती है।
पॉइंट सिस्टम खत्म, नई गाइडलाइन लागू
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने सीनियर एडवोकेट की नियुक्ति के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत अब पुराने पॉइंट बेस्ड असेसमेंट सिस्टम को खत्म कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि पिछले साढ़े सात साल के अनुभव से यह स्पष्ट हुआ है कि वकीलों की योग्यता और अनुभव को पॉइंट के आधार पर निष्पक्ष रूप से आंकना संभव नहीं है।
चार महीने में नियमों में बदलाव करें हाईकोर्ट्स
कोर्ट ने सभी हाईकोर्ट्स को निर्देश दिया है कि वे चार महीने के भीतर अपने मौजूदा नियमों में बदलाव करें और नई गाइडलाइन के अनुसार प्रक्रिया अपनाएं। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सीनियर एडवोकेट बनने के लिए कम से कम 10 साल की वकालत की योग्यता पहले की तरह ही बनी रहेगी।
वकीलों की सहमति जरूरी, आवेदन की प्रक्रिया जारी रहेगी
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वकीलों द्वारा खुद आवेदन करने की प्रक्रिया जारी रहेगी, क्योंकि यह उनकी सहमति को दर्शाता है।