
a man sitting in the back of a yellow taxi
Court News:दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा, टैक्सी एग्रीगेटर्स के एप्लीकेशन को लॉन्च करने से पहले दिव्यांगों के अनुकूल नियामक तंत्र होने के बारे अवगत कराएं।
मंत्रालय के संबंधित संयुक्त सचिव 13 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में हाजिर हों
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि ऐसा न करने पर मंत्रालय के संबंधित संयुक्त सचिव अगली सुनवाई 13 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित रहेंगे। बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर रैपिडो ने भी न्यायालय को आश्वासन दिया कि यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए जाएंगे कि उसका एप्लीकेशन दिव्यांगों के अनुकूल बना रहे। यह दलील तब दी गई, जब अदालत को बताया गया कि एक्सेसिबिलिटी ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार रैपिडो एंड्रॉइड ऐप में कई एक्सेसिबिलिटी मुद्दों की पहचान की गई थी।
रैपिडो ने अदालत में रखा अपना पक्ष
रैपिडो के मालिक रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के वकील ने आगे आश्वासन दिया कि एक्सेसिबिलिटी ऑडिट रिपोर्ट में संदर्भित सभी एक्सेसिबिलिटी मुद्दों को कंपनी द्वारा संबोधित किया जाएगा और इसके एप्लिकेशन को चार महीने के भीतर दिव्यांगों के अनुकूल बनाया जाएगा। अदालत ने कहा कि कंपनी द्वारा दिए गए वचन का कोई भी उल्लंघन न्यायिक आदेश की जानबूझकर अवज्ञा के रूप में माना जाएगा।
इन याचिका पर कोर्ट कर रही सुनवाई
अदालत दिव्यांगता अधिकार कार्यकर्ता अमर जैन और दृष्टिबाधित बैंकर दीप्टो घोष चौधरी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रैपिडो को तत्काल पहुंच संबंधी ऑडिट करने, समय पर पहुंच संबंधी बाधाओं को हल करने और व्यापक और समग्र अंत-से-अंत पहुंच सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की गई थी। अदालत के आदेश के अनुसरण में, रैपिडो ने एक निश्चित एजेंसी को ऑडिट करने के लिए नियुक्त किया था। इस ऑडिट रिपोर्ट में चिंताजनक स्थिति का पता चला है क्योंकि रैपिडो एंड्रॉइड ऐप में 207 पहुंच संबंधी मुद्दों की पहचान की गई है। अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि एप्लिकेशन दिव्यांगों के अनुकूल नहीं है। अदालत ने पहले केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, विकलांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग (पीडब्ल्यूडी) और रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी किए थे और उन्हें याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा था।
याचिका: दिव्यांग कहने पर सवारी देने से मना किया
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता रैपिडो मोबाइल राइड एप्लीकेशन पर निर्भर हैं, लेकिन यह विकलांग व्यक्तियों की पहुंच संबंधी जरूरतों को पूरा करने में विफल रहा है। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को एक कैप्टन (ड्राइवर) ने सवारी देने से मना कर दिया, जब उसे पता चला कि वह दिव्यांग है और इस तरह के अनुभव दिव्यांग व्यक्तियों की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। यह मुद्दा इस ऐप तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य कैब एग्रीगेटर्स के पास भी दिव्यांग व्यक्तियों को समायोजित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
परिवहन मंत्रालय उचित आदेश लागू करने में अब तक विफल
अधिवक्ता राहुल बजाज और महूर गनी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि परिवहन मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए उचित शासनादेश लागू करने में विफल रहा है कि सभी कैब एग्रीगेटर्स दिव्यांग व्यक्तियों के लिए अपनी सेवाओं की कार्यात्मक और डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करें। याचिका में कहा गया है कि यह मामला दिव्यांग व्यक्तियों के लिए डिजिटल सेवाओं तक समान पहुंच के महत्व को भी रेखांकित करता है। व्यवसायों और सेवा प्रदाताओं के लिए समावेशिता को प्राथमिकता देने और पहुंच को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कानूनी आदेशों का पालन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।