
Dwarka Court
Court News: दिल्ली की द्वारका कोर्ट ने एक महिला वकील से सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में फंसे सेना के कर्नल और उसके दोस्त को बरी कर दिया है।
एफआईआर दर्ज कराने में देरी हुई: कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि एफआईआर दर्ज कराने में देरी हुई, पीड़िता की गवाही में विरोधाभास हैं और आरोप साबित करने के लिए कोई फॉरेंसिक या मेडिकल सबूत नहीं मिले। कोर्ट ने 30 मई को दिए फैसले में कहा कि पीड़िता की अकेली, अपुष्ट और अविश्वसनीय गवाही को बिना किसी ठोस सबूत के सच नहीं माना जा सकता।
यह था मामला
पीड़िता ने अक्टूबर 2016 में दिल्ली में पहली बार और अगस्त 2021 में चंडीगढ़ में आखिरी बार दुष्कर्म होने का आरोप लगाया था। उसने नवंबर 2021 में पुलिस में शिकायत दी थी। एफआईआर द्वारका सेक्टर 23 थाने में दर्ज की गई थी। इसमें सेना के अधिकारी पर नशीला पदार्थ मिलाकर बार-बार दुष्कर्म करने और धमकाने का आरोप था। पुलिस ने दोनों आरोपियों पर सामूहिक दुष्कर्म की धारा 376 डी के तहत केस दर्ज किया था। वीडियो का कोई सबूत नहीं मिला पीड़िता ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म के दौरान एक अश्लील वीडियो बनाया और उसे वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करता रहा। लेकिन जांच में आरोपी के मोबाइल से ऐसा कोई वीडियो नहीं मिला। फॉरेंसिक जांच में भी कोई वीडियो नहीं मिला।
यह रही कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता पेशे से वकील है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि वह अपने कानूनी अधिकारों से अनजान थी। यह मानना मुश्किल है कि वह पांच साल तक हालात की शिकार बनी रही और साथ ही आरोपी को कानूनी सलाह भी देती रही। कोर्ट ने यह भी कहा कि फीस को लेकर विवाद के चलते आरोपियों को फंसाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोपों को संदेह से परे साबित नहीं कर सका। इसलिए दोनों आरोपियों को बरी किया जाता है।