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Court News: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि पटाखों के दुरुपयोग से न केवल आंखें खराब होती हैं, बल्कि मनुष्यों और जानवरों को भी इससे शारीरिक नुकसान होता है।
मांगों को संशोधित कर दोबारा याचिका दायर की जाए
मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, पटाखों से नेत्र संबंधी चोट लगने की संभावना होती है। एक ही तरह के पटाखे एक ही तंत्र में काम करते हैं और सिर में चोट लगने की संभावना होती है। इसको लेकर एकीकृत दिशा-निर्देश होने चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मांगों को संशोधित कर एक व्यापक याचिका दायर करने के लिए कहा। याचिकाकर्ता को दो सप्ताह का समय देते हुए अदालत ने सुनवाई की तारीख 9 अप्रैल तय की।
पटाखे जलने से जानवरों को भी खतरा
पीठ ने कहा, पटाखों के दुरुपयोग से न केवल आंखों में चोटें लगने की संभावना है, बल्कि शरीर के किसी अन्य अंग, यहां तक कि पालतू जानवरों और अन्य जानवरों को भी चोट लगने की आशंका होती है। अदालत इस मुद्दे की जांच करने को लेकर इच्छुक थी।
नेत्र संबंधी हानि को लेकर दिशा-निर्देश की मांग
याचिकाकर्ता ऑक्यूलर ट्रॉमा सोसाइटी ऑफ इंडिया ने लोगों को होने वाली नेत्र संबंधी चोटों को रोकने के लिए पटाखों के सुरक्षित उपयोग के लिए व्यापक दिशा-निर्देश तैयार करने और उन्हें लागू करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की।
आबादी वाले क्षेत्र व पार्क में छोड़े जाते हैं पटाखे
याचिकाकर्ता ने अदालत से केंद्र को घनी आबादी वाले क्षेत्रों और सार्वजनिक पार्कों सहित उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में पटाखों के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए राष्ट्रीय दिशा-निर्देश जारी करने और पटाखों से संबंधित दुर्घटनाओं और चोटों की निगरानी के लिए एक तंत्र स्थापित करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया।
पटाखा उत्पादन, बिक्री व उपयोग को किया उल्लेख
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता राहुल बजाज ने बाजार में दोषपूर्ण और घटिया गुणवत्ता वाले पटाखों के उत्पादन और बिक्री और लापरवाही से उपयोग के कारण होने वाली नेत्र संबंधी चोटों, विशेष रूप से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिमों को रेखांकित किया।