
Arvind Kejriwal...File Pic
Court News: दिल्ली पुलिस ने कहा, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप के मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल, पूर्व विधायक और एमसीडी पार्षद की तलाश में लगातार प्रयास कर रहे हैं और उन्हें और समय की आवश्यकता है।
दिल्ली पुलिस ने स्टेट्स रिपोर्ट को कोर्ट में किया दाखिल
राऊज एवेन्यू कोर्ट में एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) नेहा मित्तल की अदालत में दिल्ली पुलिस ने 19 अप्रैल को मामले में स्थिति रिपोर्ट (स्टेटस रिपोर्ट) दाखिल किया। कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए अगली सुनवाई की तारीख 3 मई तय की है। दिल्ली पुलिस ने यह भी कहा कि 3 अप्रैल को शिकायतकर्ता के निर्देश पर एक साइट प्लान तैयार किया गया है। उसे रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। इसके अलावा, आरोपियों का पता लगाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
वर्ष 2019 में द्वारका क्षेत्र में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला
कोर्ट ने यह निर्देश शिव कुमार सक्सेना द्वारा दायर एक शिकायत पर दिया था, जिसमें 2019 में द्वारका क्षेत्र में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व विधायक गुलाब सिंह और निगम पार्षद नितिका शर्मा के खिलाफ शिकायत की गई थी। 28 मार्च को पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल और अन्य के खिलाफ शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज कर ली है। शिकायतकर्ता ने द्वारका क्षेत्र में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धारा का उल्लंघन किए जाने का आरोप लगाया था।
11 मार्च को कोर्ट ने केस दर्ज करने का दिया था निर्देश
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 11 मार्च 2025 को दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। दिल्ली पुलिस ने एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नेहा मित्तल की अदालत में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल कर बताया था कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है। कोर्ट ने कहा, यह राय बनाई गई है कि धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत दायर आवेदन को स्वीकार किया जाना चाहिए। अतः संबंधित एसएचओ को निर्देश दिया जाता है कि वह दिल्ली सार्वजनिक संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम, 2007 की धारा 3 और अन्य उपयुक्त धाराओं के अंतर्गत तत्काल एफआईआर दर्ज करें।
द्वारका क्षेत्र में बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर पैसे दुरुपयोग करने का आरोप
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि आरोपी व्यक्तियों ने द्वारका सेक्टर-11 के डीडीए पार्क, सड़कों और चौराहों, डीडीए की एमपी ग्रीन एरिया, डीडीए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के पीछे, सेक्टर-10/11 के मुख्य चौराहे, बिजली के खंभों, डीडीए पार्क की दीवार और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाकर सार्वजनिक पैसे का दुरुपयोग किया। एक होर्डिंग में दावा किया गया था कि दिल्ली सरकार जल्द ही करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए पंजीकरण शुरू करेगी, और इस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तत्कालीन विधायक गुलाब सिंह की तस्वीरें और नाम थे। एक अन्य होर्डिंग में गुरुनानक देव जयंती और कार्तिक पूर्णिमा की बधाई दी गई थी, जिसमें नितिका शर्मा (निगम पार्षद), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, मनोज तिवारी, जे.पी. नड्डा, प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी आदि की तस्वीरें थीं। शिकायतकर्ता ने पुलिस को शिकायत दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, ऐसा आरोप लगाया गया।
वर्ष 2019 में शिकायत दर्ज की, लेकिन होर्डिंग न होने की दी रिपोर्ट
2022 में द्वारका साउथ थाने के एसएचओ की ओर से एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया था कि यह शिकायत 2019 में दर्ज की गई थी और वर्तमान में (स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करते समय) कथित स्थान पर कोई होर्डिंग्स नहीं मिले, इसलिए वर्तमान में कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता। इस स्थिति रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए, द्वारका कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 15 सितंबर 2022 को शिकायत खारिज कर दी थी।
पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई में दोबारा मामला खुला
शिकायतकर्ता ने राऊज एवेन्यू कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका (रिवीजन पिटिशन) दायर की, जिसे स्वीकार कर लिया गया और मामले को दोबारा सुनवाई के लिए वापस भेज दिया गया। सेशन कोर्ट ने निर्देश दिया कि धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत आवेदन पर नए सिरे से विचार किया जाए और आरोपों से संज्ञेय अपराध की पुष्टि होने पर उपयुक्त आदेश जारी किया जाए। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट तय करे कि मामला शिकायत के रूप में चलाया जाए या एफआईआर दर्ज कर आगे बढ़ाया जाए।
होर्डिंग्स किसने लगवाए…जांच की आवश्यकता
शिकायतकर्ता की ओर से कानूनी सहायता वकील ने तर्क दिया कि स्थिति रिपोर्ट में केवल इतना ही कहा गया है कि स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने की तारीख पर कोई होर्डिंग्स नहीं मिले, लेकिन रिपोर्ट इस बारे में मौन है कि शिकायतकर्ता द्वारा बताए गए दिन और समय पर होर्डिंग्स मौजूद थे या नहीं। वकील ने आगे तर्क दिया कि इस मामले में जांच की आवश्यकता है क्योंकि शिकायतकर्ता यह निर्धारित करने की स्थिति में नहीं है कि होर्डिंग्स किसने लगवाए।
संलग्न फोटो में प्रिंटिंग प्रेस का विवरण नहीं है…
अतिरिक्त लोक अभियोजक ने याचिका का विरोध किया और कहा कि शिकायत के साथ संलग्न फोटो में प्रिंटिंग प्रेस का विवरण नहीं है, जिससे यह पता लगाना असंभव है कि होर्डिंग्स कहां और किसके कहने पर छपे। उन्होंने यह भी कहा कि इस स्थिति में याचिका स्वीकार करने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने अपनी पुलिस शिकायतों में लगभग 8–10 व्यक्तियों के नाम दिए थे, जिनमें प्रधानमंत्री का नाम भी शामिल था, लेकिन वर्तमान याचिका में अधिकांश नाम हटा दिए गए हैं। इसलिए इसे सीआरपीसी की धारा 154(3) का पालन करते हुए दाखिल नहीं माना जा सकता।
कुछ नामों का उल्लेख न किया जाना…
कोर्ट ने आप के तर्क को खारिज कर दिया कि कुछ नामों का उल्लेख न किया जाना याचिका के परिणाम को प्रभावित कर सकता है। कोर्ट ने कहा, शिकायतकर्ता द्वारा कुछ व्यक्तियों के नाम लेना या न लेना जांच की दिशा तय नहीं कर सकता। जांच एजेंसी के पास यह पूर्ण अधिकार है कि वह किसी भी ऐसे व्यक्ति को आरोपी बनाए, भले ही उसका नाम वर्तमान आवेदन या शिकायत में न हो, अगर जांच में उसकी संलिप्तता सामने आती है।