
Court News: सुप्रीम कोर्ट ने भागलपुर के पटाखा इकाई में विस्फोट में मारे गए लोगों के परिजनों को 20 लाख रुपये मुआवजे मामले में एनजीटी आदेश को रद्द कर दिया।
एनजीटी मामले में नए सिरे से विचार करे: शीर्ष अदालत
न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने एनजीटी के आदेश को रद्द करते हुए कहा, उल्लंघन करने वालों को न तो कोई नोटिस जारी किया और न ही मरने वाले और घायल हुए लोगों के परिजनों से जवाब मांगा गया। इस मामले को 28 मार्च को नए सिरे से विचार के लिए एनजीटी को वापस भेजा गया था। पीठ ने न्यायाधिकरण को भागलपुर के जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी करने और मृतकों और घायलों के परिजनों का पता मांगने का निर्देश दिया।
27 मई को एनजीटी ने मुआवजा देने का दिया था निर्देश
एनजीटी ने अपने 27 मई, 2022 के आदेश में विस्फोट के दौरान 15 मौतों पर एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लिया था। कहा कि पटाखा इकाई पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन करते हुए और खतरनाक रासायनिक नियमों, 1989 के निर्माण, भंडारण और आयात के साथ-साथ विस्फोटक नियमों का भी उल्लंघन करता है। एनजीटी के निर्देश में यह कहा था कि मृतक की उम्र और आय के बारे में डेटा का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन फ्लोर लेवल मुआवजे के पैमाने को लागू करते हुए, मृतक के परिजनों को प्रत्येक मौत के लिए 20 लाख रुपये और प्रत्येक घायल के संबंध में 15 लाख रुपये का मुआवजा निर्धारित करते हैं।
उल्लंघनकर्ताओं से राशि वसूलने का अधिकार….
एनजीटी ने राज्य के अधिकारी को मारे गए लोगों के उत्तराधिकारियों और घायलों को एक महीने के भीतर मुआवजा देने का आदेश दिया गया था। राज्य को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए उल्लंघनकर्ताओं से राशि वसूलने का अधिकार होगा, जिनकी पहचान भी कर ली जाएगी।