
Court News: यूपी के मैनपुरी जिले की एक विशेष अदालत ने चालीस साल बाद, एक गांव में 24 दलितों की हत्या के लिए तीन आरोपियों को मौत की सजा सुनाई है।
आरोपियों पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगा
यूपी के मैनपुरी जिले में वर्ष 1981 के देहुली नरसंहार में महिलाओं और दो बच्चों सहित 24 दलितों की हत्या कर दी गई थी। इस आरोप में 12 मार्च को विशेष न्यायाधीश इंदिरा सिंह ने तीन आरोपियों कप्तान सिंह (60), रामपाल (60) और राम सेवक (70) को दोषी ठहराया था। सरकारी वकील रोहित शुक्ला ने बताया कि आरोपियों को मृत्युदंड के अलावा 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
कुल आरोपियों में से 14 लोगों की हो चुकी मौत
18 नवंबर 1981 को शाम करीब 4.30 बजे खाकी वर्दी पहने 17 डकैतों के एक गिरोह ने देहुली पर धावा बोल दिया। उन्होंने एक दलित परिवार को निशाना बनाया और 24 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी, जिनमें क्रमशः छह महीने और दो साल के बच्चे शामिल थे। मूल एफआईआर में आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), और 396 (हत्या के साथ डकैती) सहित अन्य अपराधों के तहत 17 आरोपियों के नाम थे। कुल आरोपियों में से 14 लोगों की मुकदमे के दौरान ही मौत हो गई, जबकि एक को फरार घोषित कर दिया गया।
19 नवंबर 1981 को दर्ज हुई थी प्राथमिकी
19 नवंबर, 1981 को स्थानीय निवासी लायक सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई थी और विस्तृत जांच के बाद गिरोह के सरगना संतोष और राधे सहित डकैतों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। इस त्रासदी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की थी, जबकि विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने फिरोजाबाद में दिहुली से सदुपुर तक पद यात्रा कर शोक संतप्त परिवारों के प्रति एकजुटता व्यक्त की थी।