
Col Sofiya Qureshi
Col Sofiya Qureshi: सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में भारतीय सेना की महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन (PC) देने के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों की सराहना की थी।
17 फरवरी 2020 को आया था सुप्रीम फैसला
17 फरवरी 2020 को दिए गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेना में महिला अफसरों को सिर्फ स्टाफ पोस्टिंग तक सीमित रखना और कमांड पोस्ट से पूरी तरह बाहर करना कानूनन गलत है। कोर्ट ने कहा था कि महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) अफसरों को सिर्फ स्टाफ पोस्टिंग देना परमानेंट कमीशन के मकसद को पूरा नहीं करता। बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया को जानकारी देने वाली दो महिला अफसरों में कर्नल कुरैशी भी शामिल थीं।
कर्नल कुरैशी की उपलब्धियों का जिक्र किया
कर्नल कुरैशी की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा था कि वे भारतीय सेना की पहली महिला अफसर हैं, जिन्होंने किसी बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय दल का नेतृत्व किया। यह अभ्यास ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ था, जो भारत में आयोजित सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास था।
UN मिशन में निभाई थी अहम भूमिका
कर्नल कुरैशी ने 2006 में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के तहत कांगो में सेवा दी थी। वहां वे संघर्ष प्रभावित इलाकों में शांति बनाए रखने और मानवीय सहायता पहुंचाने की जिम्मेदारी निभा रही थीं। कोर्ट ने कहा था कि महिला अफसरों ने देश की सेवा में पुरुष अफसरों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है।
बायोलॉजिकल और सामाजिक कारणों से महिला अफसरों की भूमिका को कमतर आंकना गलत
कोर्ट ने केंद्र सरकार के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा था कि महिला अफसरों की सेवाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है। लेकिन बार-बार यह तर्क देना कि जैविक संरचना और सामाजिक कारणों से महिलाएं पुरुषों से कमतर हैं, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा था कि महिला अफसरों ने सेना को गौरव दिलाया है।
ऑपरेशन सिंदूर में भी निभाई अहम भूमिका
बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पर मीडिया को जानकारी देने के लिए विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ कर्नल कुरैशी और एयरफोर्स की विंग कमांडर व्योमिका सिंह मंच पर मौजूद थीं। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल स्ट्राइक की थी।
गुजरात की वडोदरा में जन्म, बायोकैमिस्ट्री में मास्टर्स
कर्नल कुरैशी का जन्म 1974 में गुजरात के वडोदरा में हुआ था। उन्होंने 1997 में मनोनमणियम सुन्दरनार यूनिवर्सिटी से बायोकैमिस्ट्री में मास्टर्स किया। वे सेना के अहम सिग्नल कोर की अफसर हैं। 2006 में उन्हें कांगो में सैन्य पर्यवेक्षक की भूमिका के लिए चुना गया था। इसके अलावा वे पूर्वोत्तर में बाढ़ राहत अभियानों का भी हिस्सा रही हैं।
2016 में तोड़ा था ‘ग्लास सीलिंग’
2016 में कर्नल कुरैशी ने ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में भारतीय दल का नेतृत्व कर सेना में महिलाओं के लिए एक नई मिसाल कायम की थी। यह अभ्यास ASEAN देशों के बीच शांति बनाए रखने के लिए आयोजित किया गया था।