
Supreme Court Chief Justice BR Gavai
CJI’s View: 14 मई को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने जा रहे जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा, वे रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी या राजनीतिक पद नहीं लेंगे।
पहलगाम आतंकी हमले पर शोक संदेश जारी किया
अपने आवास पर पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में जस्टिस गवई ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले की खबर सुनकर सुप्रीम कोर्ट के सभी जज स्तब्ध रह गए थे। उस वक्त CJI संजीव खन्ना दिल्ली में नहीं थे, इसलिए उन्होंने खुद फुल कोर्ट मीटिंग बुलाई और कोर्ट की ओर से शोक संदेश जारी करने का फैसला लिया। उन्होंने यह भी साफ किया कि संसद और न्यायपालिका में कौन बड़ा है, इस बहस का जवाब संविधान देता है और वही सर्वोच्च है।
देश संकट में हो तो सुप्रीम कोर्ट अलग नहीं रह सकता
जस्टिस गवई ने कहा, “जब देश संकट में होता है, तो सुप्रीम कोर्ट अलग नहीं रह सकता। हम भी इस देश के नागरिक हैं और हमें भी ऐसी घटनाओं से दुख होता है।” उन्होंने कहा कि कोर्ट ने पहलगाम हमले पर दुख जताया और इसके बाद सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया, जिससे गोलीबारी रुकी।
राजनीतिक पदों से इनकार, बोले- गवर्नर का पद CJI से नीचे
रिटायरमेंट के बाद गवर्नर जैसे पद लेने के सवाल पर उन्होंने कहा, “मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। मैं रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लूंगा।” उन्होंने कहा कि CJI के बाद गवर्नर का पद प्रोटोकॉल में नीचे आता है, इसलिए वे ऐसा कोई पद नहीं लेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि वे दूसरों के फैसलों पर टिप्पणी नहीं कर सकते।
जजों को आम लोगों से मिलना चाहिए
राजनेताओं से जजों की मुलाकात पर उन्होंने कहा, “जज हाथी दांत के महल में नहीं रहते। जब तक आप अलग-अलग वर्गों के लोगों से नहीं मिलेंगे, तब तक उनकी समस्याएं नहीं समझ पाएंगे।” उन्होंने मणिपुर दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि एक बुजुर्ग महिला ने उन्हें अपने घर बुलाया, जिससे उन्हें देश की एकता और अपनापन महसूस हुआ।
युद्ध व्यर्थ हैं, रूस-यूक्रेन का उदाहरण दिया
जस्टिस गवई ने कहा कि युद्धों से कोई ठोस लाभ नहीं होता। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे कुछ हासिल नहीं हुआ है।
जजों की संपत्ति सार्वजनिक होनी चाहिए
उन्होंने बताया कि अब तक सुप्रीम कोर्ट के 33 में से 21 जजों ने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक कर दी है। बाकी जज भी जल्द ही ऐसा करेंगे। उन्होंने हाईकोर्ट के जजों से भी ऐसा करने की अपील की।
न्यायपालिका में आरक्षण नहीं, लेकिन प्रतिनिधित्व जरूरी
SC, ST और OBC वर्गों के न्यायपालिका में कम प्रतिनिधित्व पर उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर आरक्षण नहीं हो सकता, लेकिन समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। महिला जजों की संख्या कम होने पर उन्होंने कहा कि कई बार उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिलते।
सोशल मीडिया से दूर रहते हैं
सोशल मीडिया पर कोर्ट को लेकर की जाने वाली टिप्पणियों पर उन्होंने कहा कि वे सोशल मीडिया नहीं देखते, सिर्फ अखबारों की कटिंग पढ़ते हैं।
बौद्ध पृष्ठभूमि से आने वाले पहले CJI
जस्टिस गवई ने कहा कि वे शायद पहले बौद्ध CJI होंगे। उन्होंने बताया कि उनके पिता आरएस गवई एक राजनेता थे और डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म अपनाया था। वे आज भी अपने गांव अमरावती जाते हैं और पिता की पुण्यतिथि व जन्मतिथि पर वहां कार्यक्रम करते हैं।
14 मई को लेंगे CJI पद की शपथ
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने 29 अप्रैल को जस्टिस गवई को देश का 52वां CJI नियुक्त किया। वे 14 मई को पदभार संभालेंगे और उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा।
जस्टिस गवई का करियर
- जन्म: 24 नवंबर 1960, अमरावती
- वकालत की शुरुआत: 16 मार्च 1985
- बॉम्बे हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज नियुक्ति: 14 नवंबर 2003
- स्थायी जज बने: 12 नवंबर 2005
- सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्ति: 24 मई 2019