
National Mediation Conference, Delhi
CJI Speech: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने शनिवार को कहा कि मध्यस्थता (Mediation) कोई कमजोर न्याय नहीं, बल्कि ज्यादा समझदारी भरा तरीका है।
कोर्ट में फैसला…रिश्ते बिगड़ते हैं
सीजेआई ने कहा, कोर्ट में फैसला एक पक्ष को विजेता और दूसरे को हारने वाला बना देता है, जिससे रिश्ते बिगड़ते हैं। इसके उलट, मध्यस्थता विवाद की जड़ तक जाती है और समाधान के साथ-साथ रिश्तों को भी ठीक करती है। वह शनिवार को मध्यस्थता की प्रभावशीलता और पहुंच पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान संबोधित कर रहे थे। कोर्ट की प्रक्रिया कई बार सतही होती है और विवाद की असली वजह को नहीं सुलझा पाती। इससे रिश्ते टूटते हैं। लेकिन मध्यस्थता में जड़ की पहचान कर समाधान निकाला जाता है, जिससे रिश्ते भी सुधरते हैं।
मध्यस्थता से जुड़ी अहम बातें
- 2016 से 2025 की शुरुआत तक 7.57 लाख मामले मध्यस्थता से सुलझे: CJI ने बताया कि पिछले दो दशकों में मध्यस्थता ने विवाद सुलझाने में अहम भूमिका निभाई है। 2016 से 2025 की शुरुआत तक 7.57 लाख केस मध्यस्थता के जरिए सुलझाए गए। हालांकि उन्होंने माना कि यह प्रक्रिया अभी गांवों तक नहीं पहुंची है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हर नागरिक, व्यापारी और वादी को यह समझाया जाए कि मध्यस्थता कमजोर नहीं, बल्कि ज्यादा समझदारी वाला न्याय है।
- न्यायमूर्ति बीआर गवई बोले- संवाद से टकराव को सहयोग में बदला जा सकता है: सम्मेलन में न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा कि जब लोगों को सुरक्षित माहौल में संवाद का मौका मिलता है, तो टकराव की जगह सहयोग की भावना आती है। उन्होंने कहा कि भारत ने मध्यस्थता को वैकल्पिक विवाद समाधान के रूप में अपनाकर न्याय प्रणाली पर बोझ कम करने की दिशा में अहम कदम उठाया है।
- मध्यस्थता एक्ट 2023 को लागू करने से ज्यादा जरूरी है सोच में बदलाव: गवई ने कहा कि मध्यस्थता एक्ट 2023 जैसे कानून तभी असरदार होंगे, जब हम कानून से आगे बढ़कर मध्यस्थता की सोच विकसित करें। उन्होंने बताया कि NALSA जैसे संस्थान वकीलों के लिए मध्यस्थता और एडवांस कमर्शियल मध्यस्थता की ट्रेनिंग दे रहे हैं। लेकिन इस सोच को और व्यापक बनाने की जरूरत है। इसके लिए ‘मध्यस्थता संघ’ की स्थापना बेहद जरूरी है।