
Supreme Court Chief Justice BR Gavai
CJI-PROTOCOL: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया।
मुंबई यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल के उल्लंघन का मामला
यह याचिका CJI बी. आर. गवई की मुंबई यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल के उल्लंघन को लेकर दायर की गई थी। कोर्ट ने इसे ‘पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन’ करार दिया और याचिकाकर्ता अधिवक्ता शैलेन्द्र मणि त्रिपाठी पर ₹7,000 का जुर्माना लगाया। यह राशि लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में जमा करानी होगी।
मुंबई पुलिस कमिश्नर के नहीं पहुंचने की घटना
CJI गवई ने 14 मई को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। इसके बाद 18 मई को वे महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल के सम्मान समारोह में शामिल होने मुंबई पहुंचे थे। इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, डीजीपी और मुंबई पुलिस कमिश्नर के न पहुंचने को लेकर प्रोटोकॉल उल्लंघन का मुद्दा उठा।
अफसरों ने सार्वजनिक मांग चुके हैं: सीजेआई
CJI गवई ने इस पर नाराजगी जताई थी, लेकिन बाद में संबंधित अधिकारियों ने उनसे मुलाकात कर खेद जताया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI ने कहा, “छोटी बात को तूल नहीं देना चाहिए। इस पर पहले ही प्रेस नोट जारी किया जा चुका है। उन्होंने कहा, “तीनों अधिकारी एयरपोर्ट पर मौजूद थे और उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी। यह किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि पद की गरिमा का मामला है। इसे और न बढ़ाएं।”
आपको सिर्फ अखबार में नाम छपवाना था: कोर्ट
CJI ने याचिकाकर्ता से कहा, “आपको सिर्फ अखबार में नाम छपवाना था। अगर आपने पद की गरिमा के बारे में सोचा होता, तो जानते कि मैंने पहले ही इस मामले को शांत करने की अपील की थी। कोर्ट ने कहा कि यह मामला पहले ही सुलझ चुका है और इसे लेकर अब कोई विवाद नहीं होना चाहिए। CJI ने यह भी कहा कि इस तरह की याचिकाएं सिर्फ अनावश्यक विवाद पैदा करती हैं और इससे CJI के पद की गरिमा पर असर पड़ता है। प्रेस नोट में भी कहा गया था कि सभी संबंधित अधिकारियों ने खेद जताया है और CJI ने सभी से अपील की है कि इस मामूली मुद्दे को तूल न दिया जाए।
मुख्य बिंदु:
- याचिका में क्या कहा गया था: याचिकाकर्ता ने कहा था कि CJI की पहली मुंबई यात्रा के दौरान राज्य के शीर्ष अधिकारियों की गैरमौजूदगी प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।
- कोर्ट की टिप्पणी: CJI गवई ने कहा, “यह सिर्फ पब्लिसिटी के लिए दायर याचिका है। छोटी बात को बड़ा न बनाएं।”
- पहले ही हो चुका है समाधान: CJI ने बताया कि संबंधित अधिकारी उनसे मिल चुके हैं और सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुके हैं। प्रेस नोट भी जारी किया गया था।
- याचिकाकर्ता पर जुर्माना: कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर ₹7,000 का जुर्माना लगाया, जो लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में जमा करना होगा।
- CJI की अपील: CJI ने कहा, “CJI के पद को अनावश्यक विवादों में न घसीटें। यह पद की गरिमा का मामला है, न कि किसी व्यक्ति का।”